Supreme Court Letter to Government: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश CJI जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार उनकी चर्चा का कारण उनका बंगला है. सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर तत्काल उनका सरकारी बंगला खाली कराने की मांग की है. यह बंगला दिल्ली के लुटियंस जोन में कृष्ण मेनन मार्ग पर स्थित है. यह भारत के मौजूदा CJI के लिए अधिकृत आधिकारिक आवास होता है. बताया गया कि जस्टिस चंद्रचूड़ नवंबर 2024 में रिटायर हुए थे लेकिन आठ महीने बाद भी उन्होंने बंगला खाली नहीं किया है.
वैध अनुमति समाप्त हो गई
असल में रिपोर्ट्स के मुताबिक एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय MoHUA को पत्र भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि बंगला नंबर 5 कृष्ण मेनन मार्ग की वैध अनुमति 31 मई 2025 को समाप्त हो गई थी और नियम 3B के तहत अधिकतम 6 महीने का समय भी 10 मई को पूरा हो चुका है. ऐसे में बंगला अब कोर्ट के आवास पूल में वापस लिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दो वर्तमान CJIs जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई ने इस बंगले में रहने से इनकार कर दिया था और अपने पुराने आवासों में रहना पसंद किया.
'व्यक्तिगत कारण और परिवार की जरूरतें'
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उधर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा है कि देरी के पीछे व्यक्तिगत कारण और परिवार की जरूरतें हैं. उन्होंने बताया कि सरकार ने उन्हें एक वैकल्पिक किराए का मकान दिया है लेकिन वह पिछले दो साल से बंद था और उसकी मरम्मत चल रही है. जैसे ही वह घर रहने लायक बन जाएगा वे उसी दिन वहां शिफ्ट हो जाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी दो बेटियां गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और विशेष देखभाल की जरूरत के चलते उन्हें उपयुक्त आवास ढूंढने में समय लगा.
अस्थायी रूप से रहने को दिया गया था
इधर सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर किया है कि बंगला उनके पास विशेष परिस्थिति में अस्थायी रूप से रहने को दिया गया था लेकिन अब तय समय भी निकल चुका है. चंद्रचूड़ ने अप्रैल 2025 में सीजेआई को एक चिट्ठी लिखकर 30 जून तक विस्तार की मांग की थी जिसे मौखिक रूप से मई अंत तक बढ़ा दिया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अब और विस्तार नहीं दिया जा सकता क्योंकि कई वरिष्ठ जजों को अभी तक आवास नहीं मिला है.
यह पहला मौका है जब सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक रूप से सरकार से अपने पूर्व CJI से बंगला खाली कराने की मांग की है. आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद कुछ महीनों की ढील मिलती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार को चिट्ठी भेजी है.
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