Defamation Case Against Shashi Tharoor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 7 साल पहले दिए बयान को लेकर चल रहे मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) को राहत के संकेत दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केस पर सुनवाई करते हुए शशि थरूर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला बंद करने का सुझाव दिया. बता दें कि शशि थरूर ने साल 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में 'शिवलिंग पर बैठे बिच्छू' वाली टिप्पणी की थी.
नेता और जज की चमड़ी काफी मोटी होती है...
यह मामला जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन.के. सिंह की पीठ के सामने आया. शशि थरूर के वकील ने सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी के नेता राजीव बब्बर की ओर से शिकायतकर्ता के वकील ने मामले को गैर-विविध दिन पर सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया. जवाब में जस्टिस सुंदरेश ने कहा, 'यह कौन सा गैर-विविध दिवस है? चलिए इसे बंद कर देते हैं. आप इस सब को लेकर संवेदनशील (टची) क्यों होना चाहते हैं? चलिए इसे बंद कर देते हैं. इस तरह प्रशासक, राजनीतिक हस्तियां (नेता) और जज एक ही समूह में आ जाते हैं, उनकी चमड़ी काफी मोटी होती है. चिंता मत कीजिए.'
हालांकि, वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने जवाब दिया कि मामले की सुनवाई तो होनी ही है. इस पर सहमति जताते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई किसी और दिन के लिए सूचीबद्ध कर दी. इसके साथ ही इस मामले में पिछले साल दिया गया अंतरिम आदेश जारी रहेगा. पिछले साल 10 सितंबर को शशि थरूर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस सांसद के खिलाफ दायर मानहानि मामले में निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. शीर्ष अदालत ने दिल्ली पुलिस और मामले में शिकायतकर्ता भाजपा नेता राजीव बब्बर को भी नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा था.
फिलहाल, इस केस से जुड़े वकीलो के अनुरोध पर कोर्ट में सुनवाई टल गई है. दरअसल, जवाब देने के लिए वकीलों ने समय मांगा है और अब अगली सुनवाई में केस का भविष्य तय होगा. शशि थरूर ने इस केस में कहा था कि मैंने जो कहा वह मेरा कथन नहीं था. वास्तव में यह बयान गोवर्धन झड़फिया का था.
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