Supreme Court: एक वकील ने की अभद्रता उसके लिए भारी पड़ गई है. उसपर सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से सख्त है. बता दें कि कोर्ट रूम में महिला जज के खिलाफ सरेआम आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने वाले एक वकील की सज़ा में कोई रियायत करने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की ओर से दी गई 18 महीने की सज़ा को कम करने की वकील की मांग खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली ने ज्यादातर न्यायिक अधिकारी महिला है, अगर आरोपी को ऐसी ही रियायत देकर छोड़ा जाने लगा तो उनके लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा.
की थी घटिया टिप्पणी
संजय राठौड़ नाम के इस वकील ने उसके केस के सुनवाई टालने की वजह से निचली अदालत ने जज के लिए कोर्ट रूम में अभद्र और अश्लील टिप्पणी की थी. इसके चलते उसके खिलाफ IPC 509, 189, 353 समेत विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. निचली अदालत ने उसे विभिन्न धाराओं के तहत दोषी मानते हुए कुल मिलाकर 24 महीने की सज़ा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने इस सज़ा की मियाद को 18 महीने कर दिया था. सज़ा में रियायत के लिए वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. वकील ने अपने बुजुर्ग माता पिता और छोटे बच्चों का ख्याल रखने की ज़िम्मेदारी का हवाला देकर सज़ा में रियायत की मांग की लेकिन लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आगे कोई राहत देने से इनकार कर दिया.
शब्दों को दोहराना है मुश्किल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील ने महिला जज के लिए ओपन कोर्ट में जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है, वो इतने गंदे है कि हम उसे यहां दोहरा भी नहीं सकते. अगर इस तरह के मामलों से सख्ती से नहीं निपट गया तो फिर महिला न्यायिक अधिकारियों के लिए काम करना मुश्किल हो जाएगा. हम उन्हें काम के लिए सुरक्षित माहौल सुनिश्चित नहीं कर पाएंगे.
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