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क्या पति या पत्नी के मर्डर केस में आरोपी का नार्को टेस्ट हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

Narco Test : नार्को टेस्ट एक डिसेप्शन डिटेक्शन टेस्ट (Deception Detection Test) है, जिस कैटेगरी में पॉलीग्राफ और ब्रेन-मैपिंग टेस्ट भी आते हैं. अपराध से जुड़ी सच्चाई ढूंढने में नार्को टेस्ट मदद कर सकता है. ये टेस्ट व्यक्ति को हिप्नोटिज्म की स्थिति में ले जाता है, जहां चेतन मन कमजोर हो जाता है और जानकारी देने वाला पहले सोचने-समझने की स्थिति में नहीं रहता.

क्या पति या पत्नी के मर्डर केस में आरोपी का नार्को टेस्ट हो सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला
Arvind Singh|Updated: Jun 10, 2025, 01:38 AM IST
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Supreme Court on Narco Test: सुप्रीम कोर्ट ने  अपने अहम फैसले में फिर दोहराया है कि किसी भी आरोपी की मंजूरी के बिना उसका नार्को एनालिसिस टेस्ट नहीं किया जा सकता है. सर्वोच्च अदालत ने कहा कि बिना आरोपी के मंजूरी के ऐसे टेस्ट करवाना मूल अधिकारों का हनन है और जमानत की स्टेज पर भी इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी पटना हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज करते हुए की जिसमें हाई कोर्ट ने आरोपियों की मंजूरी के बिना नार्को टेस्ट की इजाज़त दे दी थी. सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि पटना हाई कोर्ट का आदेश आर्टिकल 20(3) और आर्टिकल 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का हनन है. एपेक्स कोर्ट इससे भी पहले भी यह साफ़ कर चुकी है कि बिना आरोपियों की मंजूरी के ऐसे टेस्ट नहीं कर सकता है.

सिर्फ नार्को टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर दोषी नहीं
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रसन्ना  वरले की बेंच ने कहा है कि नार्को टेस्ट अपने आप मे कोई ऐसा सबूत नहीं है, जिसके आधार पर ही किसी को दोषी ठहराया जा सके. इस टेस्ट की रिपोर्ट अपने आप में कोई सबूत नहीं है. नार्को टेस्ट स मिली जानकारी के आधार पर खोजे गए सबूत को एविडेंस एक्ट के आधार पर सबूत माना जा सकता है

नार्को की मांग आरोपी का पूर्ण अधिकार नहीं
कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी केस में ट्रायल के दौरान आरोपी उसका नार्को टेस्ट करवाए जाने की मांग कर सकता है. पर यह अपने आप में उसका कोई पूर्ण अधिकार नहीं है (कोर्ट चाहे तो आरोपी को मना भी कर सकता है). कोर्ट इस मामले में यह देखेगा कि क्या इस टेस्ट को करवाने के लिए आरोपी ने वाकई अपनी स्वेच्छा से मंजूरी दी है. उचित सेफगार्ड के साथ ही इसकी मंजूरी दी जा सकती है.

कोर्ट के सामने मामला क्या था
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अमलेश कुमार शख्श की पत्नी की गुमशुदगी से जुड़ा ये मामला है. महिला के घरवालों ने ससुराल पक्ष के लोगों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उन पर शक जाहिर करते हुए FIR दर्ज करवाई थी. पुलिस ने महिला की गुमशुदगी में गड़बड़ी की आशंका जाहिर करते हुए इस केस में महिला के पति समेत अन्य सभी लोगों का नार्को टेस्ट कराने की इजाजत मांगी थी. पटना हाई कोर्ट ने नवंबर 2023 में पुलिस को नार्को टेस्ट की इजाजत देते हुए आरोपी की ज़मानत अर्जी पर सुनवाई टाल दी थी. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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