Packaged Food Warning Label: फूड पैकेजिंग में बड़ा बदलाव संभव है. देश में बढ़ती नॉन-कम्युनिकेबल डिसीज जैसे ओबेसिटी, डायबिटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों (Cardiovascular Diseases) को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पैकेट बंद खाद्य पदार्थों पर चेतावनी लेबल को अनिवार्य बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर विशेषज्ञ समिति से तीन महीने के अंदर सुझाव मांगे हैं ताकि खाद्य सुरक्षा नियमों में जरूरी बदलाव किए जा सकें.
जनहित याचिका से शुरू हुई सुनवाई
यह मामला एक जनहित याचिका के जरिए अदालत में लाया गया. जिसे '3एस एंड आवर हेल्थ सोसाइटी' नाम की संस्था ने दायर किया था. अधिवक्ता राजीव शंकर द्विवेदी के माध्यम से दायर इस याचिका में यह मांग की गई थी कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर FOPL यानी कि फ्रंट-ऑफ-पैकेज लेबल प्रणाली लागू करें.
देनी होगी पोषक तत्वों की डिटेल्स
एफओपीएल प्रणाली के तहत पैकेटबंद फूड प्रोडक्ट्स के सामने वाले हिस्से पर पोषक तत्वों की जानकारी साफ और आम भाषा में दी जाएगी. इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को यह समझने में मदद करना है कि उस खाद्य पदार्थ में कितना नमक, चीनी या फैट मौजूद है. जिससे वे अपनी सेहत के अनुसार सही विकल्प चुन सकें.
FSSAI और केंद्र सरकार ने दिए जवाब
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ओर से दिए गए जवाबों को भी ध्यान में रखा. इन जवाबों में कहा गया कि FOPL प्रणाली को लेकर जनता से लगभग 14,000 सुझाव और आपत्तियां मिली थीं. इन सुझावों पर विचार करने के लिए एक एक्सपर्ट पैनल बनाया गया है. जो नियमों में संशोधन की सिफारिश करेगा.
SC ने तीन महीने में मांगी रिपोर्ट
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने स्पष्ट किया कि अब विशेषज्ञ समिति को तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशें केंद्र सरकार को सौंपनी होंगी, ताकि खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम 2020 में जरूरी संशोधन किए जा सकें. याचिका में यह भी कहा गया है कि भारत में तेजी से बढ़ रहे लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का एक बड़ा कारण अनहेल्दी फूड है. अगर लोगों को इस तरह के खाने में मौजूद एक्स्ट्रा चीनी, नमक और फैट की जानकारी पहले से दी जाए तो वे बीमारियों से बचाव कर सकते हैं. एफओपीएल इस दिशा में एक मजबूत कदम हो सकता है.
जनता और सरकार दोनों की जिम्मेदारी
इस मामले में अगला कदम एक्सपर्ट पैनल की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा. अगर सिफारिशें स्वीकार की जाती हैं तो आने वाले समय में पैकेज्ड फूड्स पर क्लियर वॉर्नंग लेबल देखे जा सकते हैं. जिससे कंज्यूमर ज्यादा सतर्क और जागरूक हो सकेंगे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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