सुप्रीम कोर्ट ने आज भारतीय रेलवे में भूमि के बदले नौकरी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद के करीबी से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की. दरअसल, लालू के सहयोगी और व्यवसायी अमित कत्याल को दी गई जमानत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने याचिका लगाई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से ही इनकार कर दिया. साथ ही कोर्ट ने एक तल्ख बात भी कह दी. हां कोर्ट ने कहा कि छोटी मछलियों के ही पीछे क्यों हैं, क्या उन पर (बड़ी मछलियों पर कार्रवाई से) डर लगता है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा
पीठ ने कहा, ‘कोई बड़ा आदमी नहीं है. मुख्य लोग गिरफ्तार नहीं किए गए हैं. छोटी मछलियों के पीछे ही क्यों पड़ना? क्या आपको उन पर कार्रवाई से डर लगता है. आपने 11 दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया?’ न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मांग की थी कि उच्च न्यायालय का आदेश कानून के अनुसार अनुचित है और इसे खारिज करना चाहिए. उच्च न्यायालय ने पिछले साल 17 सितंबर को कत्याल को जमानत दे दी थी और ईडी की नीति को ‘चुनिंदा तरीके से लोगों पर निशाना साधने वाला’ बताते हुए उसकी निंदा की थी.
मामले में RJD अध्यक्ष के परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी आरोपी हैं. अधिकारियों ने बताया कि यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य जोन में ग्रुप डी की नियुक्तियों से संबंधित है. यह नियुक्ति 2004 से 2009 के बीच लालू के रेल मंत्री रहने के दौरान की गई थीं. इन नियुक्तियों के बदले में राजद अध्यक्ष के परिवार या सहयोगियों के नाम पर भूखंड उपहार में दिए गए या हस्तांतरित किए गए. (एजेंसी इनपुट के साथ)
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