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राणा ने पूछा-क्या एक साल में मुकदमा खत्म हो जाएगा? फिर वकीलों ने जो कहा जानकर उड़ गईं हवाइयां

Tahawwur Rana:  26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के चेहरे पर चिंता की लकीरें तब उभर आईं जब उन्होंने गुरुवार रात अपने कानूनी सलाहकारों से पूछा कि क्या उनका मुकदमा एक साल में खत्म हो जाएगा? इसपर वकीलों ने जवाब दिया वो जानकर राणा के होश उड़ गए.

राणा ने पूछा-क्या एक साल में मुकदमा खत्म हो जाएगा? फिर वकीलों ने जो कहा जानकर उड़ गईं हवाइयां
Md Amjad Shoab|Updated: Apr 12, 2025, 05:18 PM IST
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Tahawwur Rana: केंद्रीय जांच एजेंसी NIA  26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा से लगातार दूसरे दिन भी पूछताछ कर रही है. लेकिन राणा के चेहरे पर चिंता की लकीरें तब उभर आईं जब उन्होंने गुरुवार रात अपने कानूनी सलाहकारों से पूछा कि क्या उनका मुकदमा एक साल में खत्म हो जाएगा? सूत्रों के मुताबिक इसपर सलाहाकारों ने जवाब दिया 'नहीं'. सलाहाकारों ने उन्हें बताया कि सिर्फ़ चार्जशीट दाखिल करने में ही एक साल लग सकता है और पूरा मुकदमा, चाहे वह कितना भी तेज़ क्यों न हो, पांच से 10 साल तक लग सकता है.

भारतीय ज्यूडिशियल सिस्टम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के बाद राणा ने पूछा कि क्या वह 'पांचवें' का हवाला दे सकता है, जिस पर उसके वकीलों ने कहा कि भारतीय कानून भी 'आत्म-दोष' से सुरक्षा प्रदान करते हैं. सूत्रों ने बताया कि 'पांचवें का हवाला देना' यानी अमेरिकी संविधान के पांचवें संशोधन का हवाला देना, जिसका मतलब है ऐसे सवालों का जवाब देने से इनकार करना या ऐसी जानकारी देना जो खुद को मजरिम ठहरा सकती है.

इससे पहले राणा को गुरुवार रात करीब 10.30 बजे पटियाला हाउस कोर्ट में स्पेशल जज चंदर जीत सिंह की स्पेशल एनआईए अदालत के सामने भारी सुरक्षा के बीच पेश किया गया था. इस दौरान वो भूरे रंग के जंपसूट, पैरों में क्रॉक्स जैसे जूते पहने, चेहरे पर छह इंच की सफेद दाढ़ी में नजर आए थे. 

राणा इन बीमारियों से हैं पीड़ित
कमजोर, थका हुआ और जेट-लैग दिखने वाले राणा ने अदालती कार्यवाही के दौरान राणा के चेहरे पर चिंता के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए थे. हालांकि, 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में अहम भूमिका निभाने के आरोपी पूर्व पाकिस्तानी सेना अफसर पर उम्र संबंधी बीमारियों का असर साफ दिखाई दे रहा था. राणा पेट, आंतों और साइनस सिस्ट समेत कई बीमारियों से पीड़ित है.

राणा का ऐसे रखा जा रहा ख्याल
सूत्रों के अनुसार, वह एक 'स्मार्ट व्यक्ति' के रूप में सामने आया जो आकस्मिक बातचीत ( Casual Conversation ) कर सकता है. अदालती कार्यवाही शुरू होने का इंतज़ार करते वक्त राणा को NIA कर्मियों द्वारा फल दिए गए, जिसे उसने अस्वीकार कर दिया, लेकिन एजेंसी के मेंबरों के साथ आराम से बातचीत की. सूत्रों ने कहा कि राणा का अच्छा ख्याल रखा जा रहा है. सूत्रों ने कहा कि सरकार और एजेंसी इस मामले को 'मॉडल केस' बनाना चाहती है, इसलिए कोई भी कोई जोखिम नहीं उठाने वाला है.

अदालत ने दिया ये आदेश
राणा का दावा है कि वह बेगुनाह है और उसे प्रत्यर्पित करने की कोई जरूरत नहीं था, क्योंकि वह पहले ही एक दशक से अधिक समय जेल में बिता चुका है और उसे इस मामले में बरी किया जा चुका है.  इस पर, एनआईए ने स्पेशल जज को यकीन दिलाया कि उसे वह सभी तरह की ट्रीटमेंट और देखभाल प्रदान की जाएगी जिसकी उसे जरूरत है. सुनवाई में 'मैनहैंडलिंग' का सवाल भी उठा, जिस पर अदालत ने निर्देश दिया कि राणा की हर 48 घंटे में हेल्थ चेकअप जांच की जाए.

दरअसल, 9 जून, 2011 को जूरी द्वारा अमेरिकी जिला कोर्ट में की गई सुनवाई में उसे मुंबई में नवंबर 2008 में हुए आतंकवादी हमलों में मदद मुहैया करने की साजिश के आरोप से बरी कर दिया गया था. राणा की तरफ से पेश हुए एलएसी ने अदालत से आग्रह किया कि उसे एक 'लेखन उपकरण' प्रदान किया जाए ताकि वह अपना बचाव तैयार कर सके.

अदालत ने 18 दिनों की दी हिरासत
गुरुवार को रात करीब 11 बजे उनकी रिमांड की सुनवाई 10-15 मिनट में ही पूरी हो गई थी. हालांकि, शुक्रवार को सुबह करीब 2 बजे हुक्म सुनाया गया. सीनियर वकील दयान कृष्णन और अधिवक्ता नरेंद्र मान के नेतृत्व में प्रॉसीक्यूटर्स ने अदालत के सामने प्रस्तुत किया कि राणा अरेस्ट होने वाला पहला मुल्जिम है और इस मामले में नामित आतंकियों और अन्य आरोपी शख्स के साथ उसके रिश्ते हैं. एनआईए की तरफ से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि विस्तृत जांच की जरूरत है, राणा को बहुत सारे सबूतों के साथ सामना करना होगा. अदालत ने NIA को राणा की 18 दिन की हिरासत दी है. हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 20 दिन की हिरासत मांगी थी.

 

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