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Tahawwur Rana News: सरकार को तहव्वुर राणा केस कब तक निपटा देना चाहिए.. चिदंबरम बोले- काफी हैं इतने दिन

Chidambaram on Rana: चिदंबरम ने कहा कि भारत सरकार को अब इस मामले को ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक समर्पित सरकारी वकील और जिम्मेदार जज की निगरानी में यह केस छह महीने में पूरा हो सकता है. 

File Photo
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Gaurav Pandey|Updated: Apr 11, 2025, 10:52 AM IST
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Tahawwur Rana extradition: भारत को 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की अमेरिका से प्रत्यर्पण की सफलता मिली है. लेकिन इसको लेकर सियासत भी तेज हो गई है. एक तरफ कांग्रेस ने दावा किया है कि यह उपलब्धि मोदी सरकार की नहीं बल्कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के लंबे और सुनियोजित प्रयासों का परिणाम है. तो वहीं कांग्रेस ने यह भी कहा कि कितने दिन में ये केस खत्म हो जाना चाहिए. कांग्रेस दिग्गज और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि इस केस की सुनवाई छह महीने में पूरी हो जानी चाहिए क्योंकि भारत के पास सभी जरूरी सबूत पहले से मौजूद हैं.

'किसी नई सफलता का नतीजा नहीं'
दरअसल चिदंबरम ने साफ कहा कि यह प्रत्यर्पण मोदी सरकार की किसी नई सफलता का नतीजा नहीं है. एक निजी चैनल से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया की शुरुआत 2009 में ही एनआईए द्वारा केस दर्ज कर करने और अमेरिका के साथ कूटनीतिक प्रयासों के साथ हो चुकी थी. उन्होंने याद दिलाया कि उसी साल एफबीआई ने राणा को शिकागो से गिरफ्तार किया था और फिर 2011 में अमेरिकी अदालत ने 26/11 केस से बरी करने के बावजूद उन्हें दूसरी आतंकी साजिशों में दोषी करार दिया और 14 साल की सजा दी थी.

संधि के तहत सबूत हासिल किए

कांग्रेस नेता ने यह भी बताया कि कैसे संप्रग सरकार ने कानूनी और कूटनीतिक प्रयास लगातार जारी रखे. अमेरिका से कानूनी मदद संधि के तहत सबूत हासिल किए गए, एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की और इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया. विदेश मंत्री और राजदूतों ने बार-बार अमेरिका में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. उन्होंने इसे अंतरराष्ट्रीय न्याय के मामलों को राजनयिक परिपक्वता से संभालने का उदाहरण बताया.

UPA सरकार ने नींव रखी थी?

पूर्व गृहमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार को श्रेय देने से पहले यह समझना जरूरी है कि कैसे संप्रग सरकार ने नींव रखी थी. राणा की सजा, रिहाई की तारीख, और उसके बाद प्रत्यर्पण की मांग ये सब पुरानी सरकार द्वारा तैयार ढांचे की वजह से संभव हुए. उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका में राणा की रिहाई 2023 में होनी थी और जैसे ही वह 2020 में स्वास्थ्य आधार पर छूटे भारत ने तत्परता से प्रत्यर्पण मांगा.

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