Telangana tunnel collapse Rescue Challenge: तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) में चल रहे बचाव अभियान में भारतीय सेना भी शामिल हो गई है, ताकि फंसे हुए श्रमिकों को जल्गद से जल्द बाहर निकाला जा सके. बता दें कि एसएलबीसी परियोजना में सुरंग का एक हिस्सा ढह जाने के बाद शनिवार को सुरंग में 8 मजदूर फंस गए थे और पिछले 30 घंटों से सुरंग के अंदर ही फंसे हुए हैं. यह घटना शनिवार सुबह करीब 8.30 बजे हुए थी और अंदर फंसे 8 मजदूरों को बचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार चलाया जा रहा है. इस अभियान में तेलंगाना सरकार, भारतीय सेना के अलावा नौसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और देश के कई सुरंग विशेषज्ञों के साथ मिलकर उन आठ लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है.
कहां तक पहुंचा बचाव अभियान?
करीब 24 घंटे बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बचाव अभियान पर अहम जानकारी दी. उन्होंने बताया, 'शनिवार (22 फरवरी) रात करीब 10 बजे हम हालात का जायजा लेने के लिए सुरंग के अंदर गए. सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से हमने 11 किलोमीटर इस लोकोमोटिव पर और बाकी 2 किलोमीटर कन्वेयर बेल्ट पर तय किया.'
अधिकारी ने बताया कि जब टीम टीएमवी (टनल बोरिंग मशीन) के अंत में पहुंची तो उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों के नाम पुकारकर उनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला.
क्या है एसएलबीसी परियोजना?
श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) एक सिंचाई परियोजना है, जिसका उद्देश्य सुरंगों के माध्यम से श्रीशैलम जलाशय से पानी खींचकर नलगोंडा जिले को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराना है. एसएलबीसी परियोजना श्रीशैलम बांध परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भारत की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है. बांध कृष्णा नदी पर बनाया गया है और इसकी क्षमता 1670 मेगावाट है.
#WATCH | Nagarkurnool, Telangana: Rescue operations being carried out inside the Srisailam Left Bank Canal (SLBC) tunnel as a portion of the tunnel near Domalpenta collapsed yesterday. At least eight workers are feared trapped.
(Source: Irrigation and Civil Supply Minister Uttam… pic.twitter.com/XzAvagy5zA
— ANI (@ANI) February 23, 2025
बचाव कार्य इतना कठिन क्यों हो गया है?
हालांकि, श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) में बचाव कार्य में मुश्किल का सामना करना पड़ा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि बचाव कार्य इतना कठिन हो गया है, क्योंकि सुरंग में घुटनों तक कीचड़ भर गया है, जिससे सीधे पहुंचना असंभव हो गया है. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) के एक अधिकारी ने कहा, 'सुरंग के अंदर घटनास्थल पर जाने का कोई मौका नहीं है. यह पूरी तरह से ढह गई है और कीचड़ घुटनों तक पहुंच गया है. हमें एक और कदम उठाना होगा.'
एएनआई से बात करते हुए NDRF के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने कहा कि 200 मीटर का हिस्सा मलबे से भरा हुआ है. जब तक इस मलबे को साफ नहीं किया जाता, बचाव दल फंसे हुए श्रमिकों के सही स्थान का पता नहीं लगा पाएगा और उन्हें बचा नहीं पाएगा. सुखेंदु ने कहा कि सुरंग के 11-13 किलोमीटर के बीच के हिस्से में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकाला जाता, तब तक मलबा हटाने का काम शुरू नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि पहली टीम शनिवार शाम करीब 7:00 बजे पहुंची. उन्होंने कहा, 'फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए पहले हमें पानी निकालने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी और फिर मलबा हटाना होगा... फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी पता नहीं चल पाया है.'
कब तक निकाले जाएंगे फंसे मजदूर?
टनल में फंसे 8 मजदूरों को बचाने के लिए भारतीय सेना के अलावा नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और देश के कई सुरंग विशेषज्ञ साथ मिलकर काम कर रहे हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी देते हुए तेलंगाना के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने जानकारी देते हुए बताया कि सुरंग में फंसे लोगों को शाम तक बचा लिया जाएगा. घटनास्थल पर बचाव अभियान की निगरानी कर रहे रेड्डी ने बताया, 'मैं लगातार निगरानी कर रहा हूं. तेलंगाना सरकार सेना, नौसेना, एनडीआरएफ और देश के कई सुरंग विशेषज्ञों के साथ मिलकर यहां फंसे लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है.' मंत्री ने कहा कि जब सुरंग ढही, तब लगभग 70 लोग सुरंग में काम कर रहे थे और उनमें से अधिकतर बच निकलने में सफल रहे. रेड्डी ने कहा, 'लेकिन कल से आठ लोग लापता हैं. हम प्रार्थना कर रहे हैं कि वे सुरक्षित रहें और हम उम्मीद कर रहे हैं कि हम उन्हें आज शाम तक ढूंढ़ सकेंगे, उन्हें वापस ला सकेंगे और बचा सकेंगे.'
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