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Terror Funding Case : यासीन मलिक अब खुद अपने केस की करेगा पैरवी, फांसी की सजा पर कोर्ट ने मांगा जवाब

टेरर फंडिंग के मामले में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी की सज़ा की मांग वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट के यासीन मलिक को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.

Terror Funding Case : यासीन मलिक अब खुद अपने केस की करेगा पैरवी, फांसी की सजा पर कोर्ट ने मांगा जवाब
Arvind Singh|Updated: Aug 11, 2025, 02:33 PM IST
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टेरर फंडिंग के मामले में जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को फांसी की सज़ा की मांग वाली एनआईए की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट के यासीन मलिक को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी. मई 2022 में निचली अदालत ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सज़ा दी थी.

यासीन मलिक को अगली सुनवाई पर पेश होने का निर्देश
आज एनआईए की ओर से पेश वकील अक्षय मलिक ने 9 अगस्त 2024 के आदेश का हवाला दिया जिसके मुताबिक यासीन मलिक ने कहा था कि वो इस केस में अपनी पैरवी ख़ुद करेगा. कोर्ट ने सुरक्षा कारणों के मद्देनजर उसे व्यक्तिगत पेशी की बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था.
हालांकि आज सुनवाई के दौरान यासीन मलिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश नहीं हुआ. लिहाजा आज कोर्ट ने उसे निर्देश दिया है कि वह अगली सुनवाई पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होकर अपनी बात रखें.

अपना गुनाह कबूल चुका है यासीन मलिक
इस मामले में निचली अदालत ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सज़ा दी थी. निचली अदालत में यासीन मलिक ने अपने आरोप को स्वीकार करके ट्रायल का सामाना न करने का विकल्प चुना था. इसके चलते निचली अदालत ने सीधे सज़ा पर बहस सुनी थी. ट्रायल कोर्ट ने उसके खिलाफ मामले को रेयरेस्ट न मानते हुए उम्रकैद की सज़ा दी थी. इसके खिलाफ NIA ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.

सिर्फ गुनाह कबूलने से फांसी से नहीं बच सकता-NIA
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये बात परेशान करने वाली है कि कोई आंतकी देश में आतंकी वारदातों को अंजाम देता है और फिर इसलिए कि उसने अदालत में गुनाह कबूल कर लिया है, अदालत फांसी के बजाए उम्रकैद की सज़ा दे देती है.इस लिहाज से तो कोई भी दोषी मुकदमे का सामना करने के बजाए आरोपों को कबूलना स्वीकार करेगा.

सेना के खिलाफ एजेंडे को फैलाने का आरोप
एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि यासीन मलिक ने पाकिस्तान जाकर हथियारों की ट्रेनिंग हासिल की. भारत आकर आईएसआई की मदद से वो जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का चीफ बन गया. देश के एक हिस्से को उससे अलग करना उसका मकसद रहा. सरकार ने उसे सुधरने का मौक़ा दिया पर वो सुधरने की आड़ में अपने अलगाववादी एजेंडे में लगे रहा.इस बात के पुख्ता प्रमाण हैं यासीन मलिक पत्थरबाजी और यह अफवाह फैलाने में शामिल रहा है कि भारतीय सेना आम कश्मीरियों का उत्पीड़न करती है.

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