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भारत-पाकिस्तान के बीच नहीं कोई प्रत्यर्पण संधि, फिर कैसे हमारे हवाले किए जाएंगे हाफिज और मसूद?

India Pakistan Extradition Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है तो क्या फिर भी पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत के हवाले कर सकता है? चलिए जानते हैं

भारत-पाकिस्तान के बीच नहीं कोई प्रत्यर्पण संधि, फिर कैसे हमारे हवाले किए जाएंगे हाफिज और मसूद?
Tahir Kamran|Updated: Jul 07, 2025, 04:30 PM IST
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India Pakistan Extradition Treaty: हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान हाफिज सईद और मसूद अजहर को सद्भावना के तौर पर भारत के हवाले कर सकता है, बशर्ते भारत भी कानूनी कार्रवाई में सहयोग करे. भुट्टो के इस बयान के बाद दोनों देशों में इसपर चर्चा शुरू हो गई है. कुछ लोग भुट्टो के इस बयान को राजनीतिक दिखावा कह रहे हैं, क्योंकि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यर्पण से संबंधित कोई संधि ही नहीं है तो पाकिस्तान कैसे इन दोनों आंतकवादियों को भारत के हवाले करेगा? चलिए और डिटेल में जानते हैं.

2004 भारत ने भेजा था संधि का प्रस्ताव

भारत एक लंबे अरसे से हाफिज सईद और मसूद अजहर को अदालत के कटहरे में खड़ा करना चाहता है लेकिन पाकिस्तान हर बार अड़ंगा लगा देता है. भारत ने 2023 में हाफिज सईद और मसूद अजहर को सौंपने की औपचारिक मांग की थी. पाकिस्तान ने इस मांग को कबूल नहीं किया था और 'संधि नहीं है' कहकर पल्ला झाड़ लिया. जबकि भारत ने साल 2004 में एक प्रस्ताव पेश किया था, हालांकि पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव का कभी जवाब नहीं दिया.

बिना संधि कैसे भारत के हवाले किए जाएंगे हाफिज-मसूद?

अब एक बार फिर बिलावल भुट्टो के बयान के बाद यह सवाल उठने लगा है कि अब 2025 में भी दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण से जुड़ी कोई संधि नहीं है तो कैसे दोनों आंतकवादियों को भारत के हवाले किया जाएगा. तो इसका जवाब है अंतरराष्ट्रीय कानून और प्रचलित परंपराओं के तहत बिना संधि के भी अपराधियों को सौंपा जा सकता है लेकिन इसके लिए जो सबसे जरूरी चीज है वो होती है राजनीतिक इच्छा है और पाकिस्तान की सरकार या वहां के राजनेताओं में ऐसा एक बार भी देखने को नहीं मिला.

क्या कहता है अंतरराष्ट्रीय कानून?

अंतरराष्ट्रीय कानून पर नजर डालें तो एक देश किसी भी अपराधी को दूसरे देश को सौंप सकता है. हालांकि इसकी कुछ शर्ते हैं, जैसे- डबल क्रिमिनालिटी, पारस्परिकता (Reciprocity), अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत. अगर इनपर अमल किया जाए तो बिना संधि के बाद भी हवाले किया जा सकता है. चलिए जानते हैं कि यह सब शर्तें क्या हैं?

➤ डबल क्रिमिनालिटी: यानी जो अपराध भारत में है, वो पाकिस्तान में भी अपराध माना जाता हो. आतंकवाद एक ऐसा जुर्म है जिसे भारत-पाकिस्तान दोनों ही अपराध मानते हैं.

➤ पारस्परिकता (Reciprocity): इसका मतलब है कि दोनों देश एक दूसरे के लिए यह काम करें. यानी एक देश कहे कि 'हम तुम्हारे लिए करेंगे, अगर तुम हमारे लिए करते हो.' पारस्परिकता पूरी करने में पाकिस्तान पीछे हट रहा है, क्योंकि भारत पहले भी इस तरह के कदम अन्य देशों के लिए उठा चुका है. 

➤ अंतरराष्ट्रीय सिद्धांत: मौजूदा समय में हम हाफिज सईद और मसूद अजहर को लेकर बात कर रहे हैं. जो दुनियाभर में आंतकवादी के तौर पहचाने जाते हैं और वैश्विक खतरा भी हैं. ऐसे मामलों में नियम की बजाए नीयत भी मायने रखती है. यानी राजनीतिक इच्छा ज्यादा मायने रखती है.

क्या है प्रक्रिया?

भारत पहले ही पाकिस्तान को डोजियर और अनुरोध कर चुका है. इसके लिए पाकिस्तानी कोर्ट को यह तय करना होगा कि लोगों की बात हो रही है वे पाकिस्तान में ही हैं और उनके ऊपर जो आरोप लग रहे हैं वे पाकिस्तानी कानून के तहत अपराध हैं. इसके लिए एक मजिस्ट्रेट केस की वैधता की जांच करेगा और आखिर में पाकिस्तानी सरकार को राजनीतिक स्तर पर प्रत्यर्पण का फैसला लेना होगा. 

पाक से हथियार है हाफिज सईद और मसूद अजहर

हालांकि पाकिस्तान ऐसा नहीं करेगा, यह तो सभी जानते हैं. बिलावल भुट्टो का बयान महज एक शगूफा था. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वहां की सरकार इतनी मजबूत नहीं है. पाकिस्तान की विदेश नीति, भारत नीति और आतंकवाद नीति सबकुछ वहां की सेना के हाथ में है और हाफिज सईद-मसूद अजहर जैसे जहरीली सोच वाले लोग ना सिर्फ आतंकवादी हैं, बल्कि पाकिस्तानी सेना के रणनीतिक हथियार भी हैं. इन्हें सेना अपने हिसाब से भारत में अशांति के लिए इस्तेमाल करती है.

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