DNA Analysis: अमेरिकी कूटनीतिज्ञ Henry Kissinger ने कहा था Leaders Who Make Decisions Based On Short-Term Political Gain May become The Architects Of Their Own Destruction. यानि वो नेता जो अपने तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए निर्णय लेते हैं, वे अपनी खुद की तबाही के शिल्पकार बन सकते हैं. अपने देश की तबाही के शिल्पकार बन सकते हैं. और अब वक्त आ गया है. जब अच्छी डील मिलने पर आतंकियों और आतंकी देश को भी गले लगाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को अपने ही देश के कूटनीतिज्ञ की बात पर गौर करना चाहिए. क्योंकि दुनिया को भी समझ में नहीं आ रहा. जिस देश ने अमेरिका पर सबसे बड़ा आतंकी हमला करने वाले ओसामा बिन लादेन को छिपाकर रखा. अमेरिका को इतना बड़ा धोखा दिया. उस देश में अमेरिका तेल खोजने की डील क्यों कर रहा है. भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगाने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ इस समझौते का एलान किया. इस खबर के बीच सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है.
क्या डीलर ट्रंप को फायदा दिखाई दे तो वो 3 हजार अमेरिकी नागरिकों की मौत के गुनहगार के मददगार से भी दोस्ती कर सकते हैं. आज आपको ये भी जानना चाहिए. व्हाइट हाउस में डॉनल्ड ट्रंप के साथ लंच करने वाला पाकिस्तान की आतंकी सेना का प्रमुख आसिम मुनीर ट्रंप पर कौन सा काला जादू कर आया कि डॉनल्ड ट्रंप को पाकिस्तान पर इतना प्यार आ रहा है कि वो पाकिस्तान का नाम लेकर भारत को चिढ़ा रहे हैं. मेक अमेरिका ग्रेट अगेन की बजाय मेक पाकिस्तान ग्रेट की मुहिम शुरू कर रहे हैं. इसे समझने के लिए सबसे पहले आपको डॉनल्ड ट्रंप के कुछ नए एलानों के बारे में जानना चाहिए. जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से डील के बारे में बताया है.
भारत पर 25 परसेंट टैरिफ लगाने के एलान के ठीक 7 घंटे 43 मिनट बाद ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पाकिस्तान से नए समझौते को लेकर जानकारी दी. जिसमें बताया गया-
-अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर पाकिस्तान के विशाल तेल भंडार का विकास करेंगे.
-इसके लिए दोनों देश उस तेल कंपनी को चुनने की प्रक्रिया में हैं जो इस पार्टनरशिप का नेतृत्व करेगी.
-और इसके बाद ट्रंप ने कहा हो सकता है. शायद एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे.
यानि पाकिस्तान से ट्रेड डील करने के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने भारत को चिढ़ाने की कोशिश भी की है. जिस कंगाल पाकिस्तान की इकोनॉमी ऐसी है कि वो कभी भी दीवालिया हो सकता है. अब ट्रंप उसे इतना मजबूत करना चाहते हैं कि उसकी हैसियत भारत को तेल बेचने वाले देश की हो जाए.
आज आपको ये भी समझना चाहिए कि जिस पाकिस्तान के निर्माण को 77 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. और उसने अब तक उधार लेकर ही दुनिया से तेल खरीदा है. अचानक डॉनल्ड ट्रंप को वहां विशाल तेल भंडार क्यों नजर आ रहे हैं. जिस कंगाल पाकिस्तान से सारी दुनिया अपना पीछा छुड़ाना चाहती है. उस पाकिस्तान पर डॉनल्ड ट्रंप क्यों प्यार लुटा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान और अमेरिका की नज़दीकियां बढ़ी हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाया. मुनीर के साथ लंच किया. इसके बाद पाकिस्तान ने ट्रंप को खुश करने वाले कई फैसले कर डाले.
पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल ने अपने 17,000 करोड़ रुपये के क्रिप्टो कारोबार के लिए ट्रंप परिवार से जुड़ी 'वर्ल्ड लिबर्टी फ़ाइनेंशियल' से करार किया. यानि पाकिस्तान के साथ डील अमेरिका के लिए नहीं ट्रंप परिवार के कारोबारी हितों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है. इसके पीछे ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार हासिल करने का लालच भी छिपा है. पाकिस्तान के सेना प्रमुख और सरकार ने डॉनल्ड ट्रंप को नोबल शांति पुरस्कार का समर्थन किया. यानि पाकिस्तान ने झूठ बोलकर ट्रंप को सीज़फायर का श्रेय दिया जिसका उसे ईनाम मिल रहा है.
ये चीन को नियंत्रित करने की रणनीति भी मानी जा रही है. तेल के लिए निवेश का वादा करके अमेरिका पाकिस्तान को चीन से धीरे-धीरे अलग करने का प्रयास कर रहा है. मतलब CPEC के मुकाबले में अमेरिकी तेल निवेश का दांव चला गया है.
फिलहाल पाकिस्तान की आंखों में इस डील के एलान के बाद चमक आ गई है. पाकिस्तान को लग रहा है उसे एक बार फिर से अमेरिका की आंखों में धूल झोंककर डॉलर कमाने का मौका मिल गया है. और जिस तरह उसने चीन से अरबों डॉलर का निवेश करवाकर उसे फंसाया. अब वो अमेरिका का भी वैसा ही हाल करेगा. यही वजह है दुनिया भर से खैरात मांगने के लिए कुख्यात हो चुके पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस डील के लिए ट्रंप का शुक्रिया अदा किया है. लेकिन विशेषज्ञों ने अमेरिका को पाकिस्तान से ट्रेड डील करने के बाद चेतावनी देनी शुरू कर दी है कि भविष्य में ये फैसला अमेरिका के लिए बैक फायर साबित हो सकता है. ऐसा क्यों होगा आज आपको भी इसकी वजह समझनी चाहिए.
- IMF रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान का फॉरेक्स रिज़र्व July 2025 में 8.5 बिलियन डॉलर से नीचे चला गया है. यानि किसी भी देश को भुगतान करने की पाकिस्तान की क्षमता बहुत कम है. अगर अमेरिका पाकिस्तान में निवेश करेगा तो उसकी कंपनियों का पैसा फंसने की पूरी आशंका है. पहले भी Exxon जेसी कंपनियां पाकिस्तान में नुकसान उठा चुकी हैं.
- पाकिस्तान ने अमेरिका के मोस्ट वांटेड लादेन को छिपाया था. हक्कानी नेटवर्क और लश्कर जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान में अब भी सक्रिय हैं. ऐसे में पाकिस्तान में पैसा डालने का मतलब इन आतंकी नेटवर्क को मजबूत करना है. अगर अमेरिकी निवेश आतंकी नेटवर्क को मिला, तो अमेरिका की नैतिक साख पर चोट पड़ेगी.
- पाकिस्तान दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में गिना जाता है. उसकी ट्रांसपेरेंसी रैंकिंग 133वीं है. और इस मामले में उसे 100 में सिर्फ 28 प्वाइंट मिले हैं. ये स्थिति तानाशाही और बेहद भ्रष्ट देशों की होती है. यानि पाकिस्तान में निवेश करने वाली अमेरिकी तेल कंपनियों को अनुबंध, सुरक्षा, टैक्स रूल्स में धोखा मिल सकता है.
- इसके अलावा अमेरिकियों की नजरों में पाकिस्तान की इमेज बहुत खराब है. इसकी वजह से ट्रंप की इस डील का अमेरिका में विरोध हो सकता है. अमेरिकी कांग्रेस से इसे मंजूरी या समर्थन मिलना मुश्किल है.
आज आपको ट्रंप की पाकिस्तान के साथ डील पर विशेषज्ञ की राय को भी सुनना चाहिए. आखिरकार ट्रंप किस तरह ये डील करके अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. एक तरफ डॉनल्ड ट्रंप पाकिस्तान पर प्यार बरसा रहे हैं. दूसरी तरफ भारत पर टैरिफ लगाने के बाद भी भारत को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. वैसे डॉनल्ड ट्रंप की ये बेचैनी खुद उनके डर को दिखाती है. क्योंकि भारत सरकार पहले ही कह चुकी है. देशहित को ताक पर रखकर कोई डील नहीं की जाएगी. इसके बाद ट्रंप ने भारत से आगे भी ट्रेड डील पर चर्चा की बात कही. दूसरी तरफ ट्रंप ने भारत को उकसाने वाले 2 नए कदम उठाए हैं.
एक तरफ डॉनल्ड ट्रंप ने ईरान से पेट्रो उत्पादों का कारोबार करने वाली 6 भारतीय कंपनियों पर बैन लगा दिया. और दूसरी तरफ भारत और रूस के कारोबार पर निशाना साधते हुए भारत और रूस की इकोनॉमी को डेड यानि मृत बता दिया. हालांकि दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था के बारे में डॉनल्ड ट्रंप का ये बयान उनकी समझ पर सवाल खड़ा कर रहा है. ट्रंप को दुनिया में नॉन सीरियस साबित कर रहा है.
- ट्रंप ने जिन 6 भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है. वो ईरान के साथ पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का लेन-देन करती हैं.
- ईरान के साथ भारतीय कंपनियों के कारोबार को अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन बताया गया है.
- इन 6 कंपनियों ने ईरान से कुल 1 हजार 836 करोड़ के पेट्रो पदार्थ आयात किए.
- अमेरिका का दावा है कि ईरान इस राजस्व का उपयोग आतंकी संगठनों को फंडिंग, पश्चिम एशिया में अस्थिरता और अपने नागरिकों पर दमन के लिए करता है.
- बैन के बाद इन कंपनियों को अमेरिका में व्यापार, बैंकिंग और निवेश से रोका जा सकता है.
हालांकि, भारत के साथ ट्रेड डील का अमेरिका के इस कदम से कोई असर नहीं पड़ेगा और भारत के अलावा अमेरिका ने यूएई, तुर्किए, इंडोनेशिया जैसे देशों की कंपनियों पर इसी वजह से बैन लगाए हैं. लेकिन ईरान के अलावा भारत और रूस की दोस्ती से ट्रंप सबसे ज्यादा भ्रमित और परेशान नजर आ रहे हैं. कल ट्रंप ने कहा था. भारत जिस तरह रूस से हथियार और तेल खरीद रहा है. उससे उन्हें परेशानी है. लेकिन जब भारत ने कहा वो देश के हित के हिसाब से ही काम करेगा. तो ट्रंप बौखला गए आज आपको भी उनके बयान और इसके मायने को समझना चाहिए.
मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है. अगर वे दोनों अपनी बर्बाद होती अर्थव्यवस्थाओं को और डुबाना चाहते हैं, तो कर लें. मुझे कोई परवाह नहीं. हमने भारत के साथ बहुत ही कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज़्यादा हैं इसी तरह, रूस और अमेरिका का आपस में लगभग कोई व्यापार नहीं होता और ऐसा ही रहना चाहिए.
आज डॉनल्ड ट्रंप दुनिया की जिस चौथी अर्थव्यवस्था भारत को डेड इकोनॉमी बता रहे हैं. उसकी बढ़ती रफ्तार और अमेरिका की इकोनॉमी की सुस्त रफ्तार की तुलना भी की जानी चाहिए. इसे देखकर डॉनल्ड ट्रंप की जुबान अपने आप बंद हो जाएगी.
- पिछले 5 साल में भारत की जीडीपी 70 प्रतिशत बढ़ी है. जबकि अमेरिका की सिर्फ 13 प्रतिशत.
- पिछले 5 साल के अंदर भारत की डिजिटल इकोनॉमी में 500 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि अमेरिका की डिजिटल इकोनॉमी स्थिर है.
- पिछले 5 साल में भारत की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ 50 प्रतिशत बढ़ी है. जबकि अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ में 15 प्रतिशत का नुकसान हुआ है.
- भारत में रोजगार के अवसर 35 प्रतिशत बढ़े हैं. जबकि अमेरिका में सिर्फ 8 प्रतिशत.
- भारत में इस दौरान महंगाई पूरी तरफ कंट्रोल में है. जबकि अमेरिका में हाई हो गई है. अमेरिका में ब्याज दरें भी बढ़ी हैं और लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
इसके बावजूद डॉनल्ड ट्रंप भारत को डेड इकोनॉमी बता रहे हैं. जबकि सच्चाई ये है कि भले ही आज भी अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है और भारत उससे काफी पीछे है. लेकिन भारत की इकोनॉमी लगातार बढ़ रही है. और दुनिया से अमेरिका की इकोनॉमी का तिलिस्म टूट रहा है और इसी वजह से ट्रंप इतने ज्यादा बौखला गए हैं. आज आपको भारत और रूस की दोस्ती से ट्रंप की परेशानी की कुछ और वजहों को भी जानना चाहिए.
- डॉनल्ड ट्रंप भारत-रूस व्यापार और रणनीतिक संबंधों से चिढ़े हुए हैं. क्योंकि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद इस पर कोई असर नहीं पड़ा
- भारत से भाव नहीं मिलने पर अमेरिका में उनकी साख गिरी.
- रूस के नेताओं के मज़ाक उड़ाने से भी ट्रंप बौखला गए हैं.
- रूस से व्यापार करने वाले भारत पर निशाना साध कर वो अमेरिकी जनता को दिखाना चाहते हैं. वो बड़े सख्त नेता हैं. लेकिन ट्रंप का ये पासा उल्टा भी पड़ सकता है.
आज आपको ये भी समझना चाहिए. अगर अमेरिका टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत पर व्यापार को लेकर दबाव और बढ़ाता है. तो इससे निपटने के लिए भारत के पास क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं. यानी टैरिफ पर ट्रंप को सबक सिखाने का प्लान भारत के लिए क्या हो सकता है. ये अब आपको समझना चाहिए. भारत के पास टैरिफ से निपटने के कई रणनीतिक और आर्थिक विकल्प मौजूद हैं.
- भारत यूरोपियन यूनियन, दक्षिण एशिया, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ा सकता है. इससे अमेरिका पर निर्भरता कम होगी और व्यापारिक संतुलन बेहतर होगा.
- अमेरिका से टकराव के माहौल में भारत, रूस, चीन और ब्राजील जैसे देशों के साथ रुपये या स्थानीय करेंसी में व्यापार बढ़ा सकता है. हालांकि चीन के साथ भारत के रणनीतिक मतभेद हैं, लेकिन व्यावसायिक समझौतों में बढ़ोतरी की जा सकती है.
- अगर अमेरिकी टैरिफ भारत के निर्यात पर असर डालते हैं, तो भारत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देकर आत्मनिर्भरता बढ़ा सकता है. इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और घरेलू मांग को समर्थन मिलेगा.
- अगर अमेरिका टैरिफ नियमों का उल्लंघन करता है तो भारत अमेरिका के खिलाफ WTO में शिकायत कर सकता है. यह एक कूटनीतिक और कानूनी रास्ता होता है.
- इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ कूटनीतिक वार्ता कर सकता है, जहां व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी के जरिये टैरिफ को कम या संतुलित करने की कोशिश हो. इससे पहले भी टैरिफ लगाकर ट्रंप यूटर्न ले चुके हैं. और ट्रंप ने भारत से भी वार्ता करने के संकेत दिए हैं.
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