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DNA: सरकार-सेना की ललकार... ट्रंप के खिलाफ दोनों तैयार, 1971 की याद दिला भारत ने दिखाया अमेरिका को 'आईना'!

DNA Analysis: अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस से तेल खरीदने पर भारत के ऊपर लगाए गए टैरिफ को बढ़ाने की धमकी दी थी. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की इस धमकी का जवाब अब भारत की सरकार और सेना दोनों ने दे दिया है. 

DNA: सरकार-सेना की ललकार... ट्रंप के खिलाफ दोनों तैयार, 1971 की याद दिला भारत ने दिखाया अमेरिका को 'आईना'!
Zee News Desk|Updated: Aug 05, 2025, 10:37 PM IST
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DNA Analysis: दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने कहा था. No Power on Earth Can Defeat a Nation That Refuses to Break.यानि धरती पर कोई भी शक्ति उस राष्ट्र को हरा नहीं सकती, जो टूटने से इंकार करता है. फिर चाहें कितना भी बड़ा दबाव सामने क्यों ना हो. नेल्सन मंडेला ने अपने जीवन में अपनी कही बात को सही साबित करके दिखाया. और अब भारत ने भी सुपर पावर अमेरिका को बता दिया है कि भारत ना तो इससे पहले कभी अमेरिकी दबाव के सामने टूटा था और ना आगे कभी टूटेगा. 

एक दिन पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भारत के ऊपर लगाए गए टैरिफ को बढ़ाने की धमकी दी थी. अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की इस धमकी का जवाब अब भारत की सरकार और सेना दोनों ने दे दिया है. आज आपको भी जानना चाहिए. भारत की सरकार और सेना ने ट्रंप की धमकी पर किस तरह अमेरिका के सामने ऐसा आईना रख दिया. जिसे देखकर डॉनल्ड ट्रंप शर्मिंदा हो जाएंगे और अगर उनके पास कोई अच्छा सलाहकार होगा, जिसकी बात वो सुनते होंगे तो कम से कम भारत को धमकाने की बात तो भूल जाएंगे. 

अमेरिका की टैरिफ वाली धमकी पर विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को 6 प्वाइंट याद दिलाए. भारत सरकार ने बताया किस तरह रूस से तेल खरीदने पर भारत को धमका रहे अमेरिका और उसके सहयोगी देश खुद रूस से कारोबार कर रहे हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी निष्पक्ष वैश्विक व्यवस्था की वकालत की. और इसे आप डॉनल्ड ट्रंप की बाउंसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का सिक्सर कह सकते हैं. लेकिन अमेरिका को इससे भी करारा जवाब भारतीय सेना ने दिया. जिसने अमेरिका को 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध की याद दिलाई.

जब अमेरिका ने पाकिस्तान की पूरी मदद की थी

अमेरिका को बताया किस तरह अमेरिका ने तब पाकिस्तान की पूरी मदद की थी. लेकिन इसके बावजूद भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था. यानि भारतीय सेना ने अमेरिका को संदेश दिया है. भारतीय सेना ने 1971 का युद्ध पाकिस्तान के विरुद्ध नहीं अमेरिका के विरूद्ध जीता था.

भारत सरकार ने अमेरिका को क्या जवाब दिया. ये जानने से पहले आपको भारतीय सेना के उस पराक्रमी जवाब के बारे में जानना चाहिए. जो भारतीय सेना ने दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना रखने वाले अमेरिका को दिया है. 

अमेरिका-पाकिस्तान का कितना बड़ा मददगार

आज आपको ये भी जानना चाहिए वर्ष 1971 में अमेरिका-पाकिस्तान का कितना बड़ा मददगार था.  युद्ध से पहले अमेरिका ने पाकिस्तान को कौन कौन से हथियार देकर उसे भारत के खिलाफ खड़ा किया था. उस दौर में ये हथियार भारत के लिए कितना बड़ा खतरा थे. और अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत ने पाकिस्तान को कैसे मात दी. 

भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड ने आज सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें आज से 54 साल पहले यानि 5 अगस्त 1971 के अखबार में छपी एक खबर की कटिंग मौजूद थी. पेपर की इस कटिंग में तत्कालीन रक्षा उत्पादन मंत्री वी सी शुक्ला ने राज्यसभा को एक बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी थी. उन्होंने बताया था पाकिस्तान को अमेरिका से 1954 से 1971 के बीच 2 बिलियन डॉलर के हथियार दिए. यानि सेना ने आज बताया इस दौर में पाकिस्तान को अमेरिका ने सबसे खतरनाक हथियारों से लैस किया था.

इस दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ एयरक्राफ्ट, मिसाइल, टैंक, तोपें और घातक सबमरीन दी थीं. पाकिस्तान को भारत से युद्ध लड़ने के लिए गोला बारूद से लैस किया था. अमेरिका और उसके सहयोगियों ने पाकिस्तान को ये सैन्य साजोसामान कन्सेशन में दिए थे. यानि इन हथियारों के लिए बहुत कम पैसा चार्ज किया गया था. अब आप समझिए उस दौर में पाकिस्तान को अमेरिका से मिले हथियार कितने घातक थे. और भारत की सुरक्षा के लिए कितनी बड़ी मुसीबत बन सकते थे.

अमेरिका ने पाकिस्तान को F-104 Starfighter टैक्टिकल जेट दिया. ये जेट सुपरसोनिक था. यानि इसकी रफ्तार आवाज की रफ्तार जितनी थी. इसीलिए उस दौर में इसके युद्ध की  क्षमता बहुत प्रभावशाली थी.

- इसके अलावा अमेरिका ने फ्रांस से कहकर पाकिस्तान को मिराज 3 फाइटर जेट दिलवाए थे. उस दौर में ये फाइटर जेट आधुनिक राडार सिस्टम से लैस थे. जो आसमान से आसमान और आसमान से जमीन पर हमला कर सकते थे. 

- अमेरिका से पाकिस्तान को अलौएट हेलीकॉप्टर भी दिए गए थे. अलौएट एक हल्का हमलावर हेलीकॉप्टर था. जिसका इस्तेमाल रात में हमला करने और सैन्य ऑपरेशनों के लिए किया जाता था  पाकिस्तान के पास इन हेलीकॉप्टरों का होना, भारतीय सैन्य अभियानों के लिए बड़ी चुनौती था. क्योंकि यह आसानी से टैंकों, सैनिकों और सैन्य क्षेत्रों पर हमला कर सकता था.

- अमेरिका ने उस दौर में अजेय माने जाने वाले पैटन टैंकों से पाकिस्तान को लैस किया था. जिस पर पाकिस्तान की सेना बहुत गुमान करती थी. इन टैंकों का उपयोग पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जमीनी लड़ाई में किया. पाकिस्तान के पैटन टैंक भारत की टैंक बटालियनों के खिलाफ मजबूत चुनौती साबित हुए.

- अमेरिका ने फ्रांस से कहकर पाकिस्तान को डाफ़ने क्लास पनडुब्बियां दिलवाईं, जो समुद्र से हमला करने और नौसैनिक ताकत को बढ़ाने के लिए थीं.

- और खुद अमेरिका ने पाकिस्तान को टेन्च क्लास सबमरीन दी. जिसका नाम बाद में PNS गाज़ी रखा गया. 1971 के युद्घ में पाकिस्तान ने इसे INS विक्रांत पर हमला करने भेजा था, जिसे भारत के युद्धपोत INS राजपूत ने डुबो दिया. 

यानि उस दौर में अमेरिका ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ जल, थल और वायु तीनों मोर्चों पर खतरनाक हथियारों से लैस किया था. लेकिन इसके बावजूद भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई. भारत ने ये कारनामा सेना के शौर्य और तत्कालीन सोवियत संघ यानि अपने मित्र रूस से मिले हथियारों की मदद से किया था. 

- पाकिस्तान के F-104 Starfighter और मिराज 3 लड़ाकू विमानों का जवाब भारत ने सोवियत संघ से मिले मिग 21 और सुखोई 7 से दिया.

- अमेरिका के पैटन टैंकों के मुकाबले भारत से सोवियत संघ से मिले टी-55 टैंक उतारे.

- समंदर में पाकिस्तान को मिली अमेरिकी सबमरीन के खिलाफ...भारत का दबदबा  सोवियत संघ से मिले एयरक्रॉफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत ने कायम किया 

उस वक्त पाकिस्तान को हथियार देने के बावजूद अमेरिका भारत को धमका रहा था. अगर उसने युद्ध नहीं रोका तो अमेरिका अपने सातवें बेड़े को युद्ध में उतार देगा. लेकिन भारत अमेरिका से नहीं डरा. पाकिस्तान अमेरिका के सातवें बेड़े का इंतजार करता रहा. और दो टुकड़ों में बंट गया. आज आपको रक्षा विशेषज्ञों की बात भी सुननी चाहिए. भारतीय सेना ने अमेरिका को 1971 की याद दिलाकर क्या संदेश दिया है.  

1971 के युद्ध में रूस भारत का सबसे बड़ा मददगार था. जबकि अमेरिका पाकिस्तान का. लेकिन आज अमेरिका कह रहा है. भारत रूस का साथ छोड़ दे. उससे तेल खरीदना छोड़ दे. भारत ने एक बार फिर से अमेरिका के दबाव के नहीं झुकने का फैसला किया है. भारत की सेना के अलावा आज आपको ये भी जानना चाहिए. भारत की सरकार ने किस तरह तेल खरीद पर अमेरिका को आइना दिखाया है. 

- विदेश मंत्रालय ने बताया रूस यूक्रेन वॉर के बाद यूरोप ने तेल के लिए मिडिल ईस्ट को प्राथमिकता दी, जिसके बाद भारत को रूस से तेल लेना पड़ा. यानि रूस से तेल खरीद भारत की मजबूरी थी न कि पसंद. उस दौरान अमेरिका ने भी इसकी तरफदारी की थी. क्योंकि ऐसा नहीं करने पर दुनिया में तेल का संकट बढ़ जाता. 

-विदेश मंत्रालय ने बताया यह खरीद उपभोक्ताओं को राहत देने और वैश्विक संकट में देश की ज़रूरत थी. यानि भारतीयों को सस्ती ऊर्जा देने के लिए ये ज़रूरी था.

-इसके अलावा खुद यूरोपीय देश जो रूस को दुश्मन नंबर एक मानते हैं. रूस से बड़ा व्यापार कर रहे हैं. 

-यूरोपीय संघ ने वर्ष 2024 में रूस के साथ 67 अरब यूरो यानि 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार किया 

- वर्ष 2023 में यूरोपीय यूनियन और रूस के बीच 17.2 अरब यूरो यानि 1 लाख 58 हजार करोड़ रुपये का व्यापार हुआ.

- और यह आंकड़ा भारत के रूस के साथ उस वर्ष या उसके बाद के कुल व्यापार से कहीं ज्यादा है.
 
- हैरान करने वाली बात ये है कि यूरोप का रूस से व्यापार सिर्फ तेल तक सीमित नहीं है. यूरोप रूस से मशीनें, स्टील और केमिकल्स भी खरीद रहा है. 

यानि जो यूरोप एक तरफ यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए ह​थियार दे रहा है. वो ही रूस से व्यापार करके उसकी तिजोरी भर रहा है. लेकिन दोष सिर्फ भारत को दिया जा रहा है. भारत ​के विदेश मंत्रालय ने डॉनल्ड ट्रंप को आइना दिखाते हुए बताया कि यूरोप ही नहीं अमेरिका भी रूस से जरूरी सामान ले रहा है. अमेरिका रूस से न्यूक्लियर, EV और खाद से जुड़ी चीजें अब भी खरीद रहा है. आज आपको रूस से अमेरिका की शॉपिंग के बारे में भी जानना चाहिए.

- 2022 के बाद यानि रूस-यूक्रेन वॉर के बाद अमेरिका ने रूस से तेल और गैस तो नहीं खरीदी...लेकिन 10 हजार 855 करोड़ की खाद खरीद डाली 

- इसके अलावा अपने परमाणु उद्योग के लिए अमेरिका ने रूस से 5 हजार करोड़ से ज्यादा का यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड खरीदा 

- अमेरिका ने अपने इलेक्ट्रिक वाहन इंडस्ट्री के लिए रूस से 10 हजार करोड़ का पैलेडियम और दूसरे रसायनों का आयात किया. और ये व्यापार अभी भी जारी है.

भारत का संदेश साफ

अब आप सोचकर देखिए खुद अमेरिका और यूरोपीय देश रूस से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन जब भारत देशहित के लिए अपने लोगों को सस्ती उर्जा देने के लिए रूस से तेल खरीद रहा है तो अमेरिका के राष्ट्रपति भारत पर और अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे हैं. और यही वजह है भारत ने अमेरिका के उस पक्षपातपूर्ण रवैये के सामने झुकने से इनकार कर दिया है  खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अमेरिका को एक बड़ा संदेश दे दिया है. आज आपको भी एस जयशंकर की कही बात जाननी चाहिए. संदेश साफ है. भारत दुनिया में ​किसी भी देश की दादागीरी नहीं स्वीकार करेगा. किसी भी मुल्क के दबाव में देशहित से समझौता नहीं करेगा.

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