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20 साल बाद एक मंच पर ठाकरे ब्रदर्स, महाराष्ट्र की राजनीति में क्या बदलेगा? शरद पवार-कांग्रेस ने क्यों बनाई दूरी

Maharashtra Politics: राजनीतिक हलकों में ठाकरे ब्रदर्स का एक साझा मुद्दे पर एकजुट होना उनके राजनीतिक पुनर्मिलन के लिए भी मंच तैयार करने के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही दोनों भाई ऐसे समय में एक साथ आ रहे हैं, जब इस साल के अंत में स्थानीय निकाय चुनाव हो सकते हैं.

20 साल बाद एक मंच पर ठाकरे ब्रदर्स, महाराष्ट्र की राजनीति में क्या बदलेगा? शरद पवार-कांग्रेस ने क्यों बनाई दूरी
Sumit Rai|Updated: Jul 05, 2025, 07:59 AM IST
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Uddhav and Raj Thackeray Sharing Stage: सत्ता संघर्ष को लेकर अलग होने के दो दशक बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) आज (5 जुलाई) वर्ली में एक संयुक्त रैली में नजर आएंगे. 'आवाज मराठीचा' (मराठी की आवाज) नामक विजय रैली की योजना दोनों दलों ने सत्तारूढ़ महायुति सरकार के तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाने के बाद मिलकर बनाई. राजनीतिक हलकों में यह देखा गया है कि ठाकरे ब्रदर्स का एक साझा मुद्दे पर एकजुट होना, उनके राजनीतिक पुनर्मिलन के लिए भी मंच तैयार कर सकता है. दोनों भाई ऐसे समय में एक साथ आ रहे हैं, जब इस साल के अंत में स्थानीय निकाय चुनाव हो सकते हैं.

ठाकरे ब्रदर्स के मिलन के लिए बड़ा मंच तैयार

दोनों पार्टियों ने रैली के लिए अपनी ताकत दिखाने के लिए हरसंभव कोशिश की है. यह रैली वर्ली के एनएससीआई डोम में आयोजित की जा रही है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शिव सेना (यूबीटी) के एक नेता ने बताया कि हालांकि ऑडिटोरियम की क्षमता 8,000 है, लेकिन दर्शकों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा होने की संभावना है. हालांकि, जो लोग कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे ऑडिटोरियम के बाहर लगाई गई एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम देख सकते हैं. मराठी निर्देशक-निर्माता अजीत भूरे इस कार्यक्रम की एंकरिंग करेंगे.

मनसे नेता यशवंत किलेदार ने कहा, 'हमने महाराष्ट्र के नक्शे के साथ एक भव्य मंच बनाया है, जिसका शीर्षक 'आवाज मराठीचा' है. हमने करीब 6000 कुर्सियां ​​लगाई हैं. एनएससीआई डोम के चारों तरफ टेंट लगाए गए हैं और फुटपाथों पर ऊंची स्क्रीन लगाई गई हैं. हमें उम्मीद है कि लोग खुद-ब-खुद आएंगे. एनी बेसेंट रोड पर यातायात रोकना पड़ सकता है.'

इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के अनिल परब और मनसे के बाला नंदगांवकर जैसे वरिष्ठ नेताओं को योजना और व्यवस्था की देखरेख करने का काम सौंपा गया था, जिसे वे पूरे सप्ताह अपने-अपने नेताओं की मदद से अंजाम दे रहे हैं. दोनों ने यह सुनिश्चित करने के लिए पदाधिकारियों की एक बैठक भी की कि सब कुछ योजना के अनुसार हो. स्थानीय नेताओं को भी अपने क्षेत्रों में एलईडी स्क्रीन लगाने के लिए कहा गया है.

सोशल मीडिया पर दोनों भाइयों को शेर के रूप में दिखाते हुए टीजर वायरल हो रहे हैं, जो लकड़बग्घों के झुंड से लड़ रहे हैं. मुंबई में कई जगहों पर बैनर लगाए गए हैं, जिनमें दोनों भाइयों को शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के साथ दिखाया गया है. बैनर लालबाग, परेल, दादर और वर्ली और मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में लगाए गए हैं. बैनर्स पर लिखा गया है, 'सरकार को कौन झुकाता है? मराठी मानुष' और 'मराठी लोगों की एकता समय की मांग है और हमारे लिए असली ताकत है.'

20 साल बाद ठाकरे ब्रदर्स के मिलन से महाराष्ट्र की राजनीति में क्या बदलेगा?

20 साल से एक-दूसरे के विरोधी रहे  उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) के एक मंच पर आने से महाराष्ट्र की राजनीति पूरी तरह से बदल सकती है. दो दशकों से अलग-थलग पड़े दोनों भाई भले ही मराठी अस्मिता के नाम पर एक साथ एक मंच पर नजर आएंगे, लेकिन यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि क्या सियासी बदलावों के लिए फेमस महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक गठबंधन की नींव हो सकती है. यानी राज और उद्धव ठाकरे का यह पुनर्मिलन राजनीतिक बदलाव ला सकता है.

रैली से शरद पवार और कांग्रेस ने क्यों बनाई दूरी?

हालांकि, इस रैली से शिवसेना (UBT) की सहयोगी एनसीपी (SP) प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल रैली में शामिल नहीं होंगे. बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं को रैली के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन हर्षवर्धन सपकाल से संपर्क नहीं हो पाया और शरद पवार के रैली में शामिल होने की संभावना नहीं है. हालांकि, रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि दोनों नेताओं के प्रतिनिधि रैली में भाग ले सकते हैं.

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