Gaganyaan Mission News: गगनयान मिशन के लिए आगरा के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रिकवरी पैराशूट तैयार किया है, जिसकी चर्चा होने लगी है. यह पैराशूट सिस्टम सोमवार को इसरो के लिए भेज दिया गया है. यह रिकवरी पैराशूट सिस्टम गगनयान के पहले मानव रहित मिशन में हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एडीआरडीई) आगरा के वैज्ञानिकों ने बनाया है. दरअसल, इस बार पृथ्वी की निचली कक्षा में 400 किमी ऊंचाई तक क्रू मॉड्यूल जाएगा, जो दो से तीन दिन तक अंतरिक्ष में रहेगा. लौटने पर इस क्रू मॉड्यूल को आगरा निर्मित 10 पैराशूट नीचे सुरक्षित उतारेंगे.
सुरक्षित उतारना सबसे बड़ी चुनौती
रिपोर्ट्स की मानें तो गगनयान मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित उतारना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसके समाधान में एडीआरडीई ने ऐसा रिकवरी सिस्टम तैयार किया है, जो गगनयान के अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित उतारने में सक्षम है. इस क्रू मॉडयूल रिकवरी सिस्टम में 10 पैराशूट लगे हैं. समुद्र और धरातल पर इस सिस्टम के कई परीक्षण हो चुके हैं. क्रू मॉड्यूल में ही अंतरिक्ष यात्री धरती पर वापस लौटेंगे. पूर्व में क्रू मॉड्यूल का परीक्षण 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक किया गया था.
कैसे नीचे उतारेंगे पैराशूट?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एडीआरडीई के निदेशक मनोज कुमार की अगुवाई में तैयार किए गए रिकवरी सिस्टम में चार हिस्से हैं. सबसे पहले दो पैराशूट खुलेंगे, जिनकी मदद से एपेक्स कवर अलग होगा. यह क्रू मॉड्यूल के पैराशूट कंपार्टमेंट को उड़ान के दौरान सुरक्षित रखने का काम करता है. फिर दो पैराशूट खुलेंगे. जिनसे क्रू मॉड्यूल को स्थिर रखने और गति धीमी करने में मदद मिलेगी. इनकी मदद से तीन पायलट पैराशूट खुलेंगे और उनकी मदद से तीन मेन पैराशूट खुल जाएंगे, जो क्रू मॉड्यूल की गति एकदम कम करके सुरक्षित उतारेंगे.
इसरो के लिए भेजे गए पैराशूट
सोमवार को एडीआरडीई निदेशक डॉ. मनोज कुमार ने रिकवरी पैराशूट सिस्टम को इसरो के बंगलूरू सेंटर के लिए रवाना कर दिया. इससे पहले आगरा का एडीआरडीई, गगनयान से पहले हैवी ड्रॉप पैराशूट सिस्टम, मिलिट्री कॉम्बेट पैराशूट सिस्टम को विकसित कर चुका है.
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