trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand02818538
Home >>अजब गजब न्यूज़

ऐसा भी क्या... बड़ा अजीब है यूपी के इस गांव का नाम, बताने में महिलाओं के चेहरे हो जाते हैं लाज से लाल

Strange Village Name of UP: यूपी में एक लाख से ज्यादा गांव हैं, कुछ गांव के नाम बड़े परंपरागत और बताने में अच्छे लगते हैं तो वहीं कुछ गांव के नाम ऐसे हैं जिन्हें बताने में गर्व नहीं बल्कि शर्म आती हैं. औकर खासकर महिलाओं के लिए तो इस गांव का नाम बता पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

Advertisement
ऐसा भी क्या... बड़ा अजीब है यूपी के इस गांव का नाम, बताने में महिलाओं के चेहरे हो जाते हैं लाज से लाल
Zee Media Bureau|Updated: Jun 27, 2025, 05:56 PM IST
Share

सुल्तानपुर: गांव चाहे जितना भी छोटा हो, उसके नाम से हर किसी की पहचान जुड़ी होती है. लेकिन सोचिए, जब गांव का नाम ही लोगों के बीच हंसी का कारण बन जाए, तो क्या होगा? कुछ लोग उस नाम को बदलवाने की कोशिश करते हैं, तो कुछ उसे अपनी विरासत मानकर सिर ऊंचा रखते हैं. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक ऐसा ही गांव है जो अपने नाम को लेकर चर्चा में है.

यह गांव सुल्तानपुर मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर भदैयां ब्लॉक में स्थित है. यहां के लोगों की मेहनत, गांव की तरक्की और संस्कृति पर तो सभी को गर्व है, लेकिन जब बात गांव के नाम की आती है तो महिलाएं और युवतियां अक्सर झिझक जाती हैं. कई बार तो वे ससुराल या शहर में पास के प्रतापगंज बाजार का नाम लेती हैं, ताकि लोगों की हंसी का सामना न करना पड़े.

गांव के नाम के पीछे अनोखी कहानी
दरअसल, इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है. गांव के बुजुर्गों के अनुसार, पहले तीन भाई – पूरन, बालम और महेश – इस क्षेत्र में अलग-अलग जगहों पर जाकर बसे. जहां पूरन बसे, वह पूरनपुर कहलाया; महेश के नाम पर महेशुआ बसा और जहां बालम ने डेरा जमाया, वह गांव बन गया बालमपुर.

नाम पर शर्म या गर्व ?
गांव का नाम लेकर मजाक बनाना कुछ लोगों की आदत बन गई है, लेकिन बालमपुर के लोग अब इन बातों से ज्यादा प्रभावित नहीं होते. एक समय था जब ग्रामीणों को यह सब सुनकर बुरा लगता था, लेकिन अब वे इसे नजरअंदाज करते हैं. गांव की महिलाएं जरूर थोड़ी संकोच में रहती हैं, खासकर तब जब उन्हें अपने मायके का नाम बताना पड़ता है.

लेकिन गांव का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसे बालमपुर नाम पर गर्व है. उनका कहना है कि यह नाम उनके पूर्वजों की धरोहर है और इसे बदलना उनकी विरासत से मुंह मोड़ना होगा. कुछ ग्रामीण तो साफ कहते हैं, "हमारा गांव चाहे जो भी नाम रखे, यह हमारी मिट्टी है, और हमें इस पर गर्व है."

नाम से ज्यादा ज़रूरी है काम
बालमपुर सिर्फ अपने नाम को लेकर ही चर्चा में नहीं है, बल्कि यहां के लोगों के विकास कार्यों, शिक्षा और सामाजिक समरसता के लिए भी जाना जाता है. गांव के कुछ युवाओं ने खेती के नए तरीके अपनाकर मिसाल पेश की है. यहां की पंचायत भी सक्रिय भूमिका निभा रही है.

भले ही नाम को लेकर कोई मजाक उड़ाए, बालमपुर उन गांवों में गिना जाता है जहां आत्मसम्मान और परंपरा को महत्व दिया जाता है. यह गांव सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक सोच है — कि अपनी पहचान को कैसे आत्मविश्वास के साथ जिया जाता है.

ये भी पढ़ें: सहारनपुर में नाग-नागिन का इश्क चढ़ा परवान, बरसात में रोज करते हैं इश्क, दूर-दूर से देखने आते लोग

Read More
{}{}