बलिया/मनोज चतुर्वेदी: बलिया में एक अनोखा नजारा सामने आया. जब हाथी, घोड़े बैंड बाजा के साथ नहीं बल्कि सादगी पूर्ण तरीके गंगा किनारे दूल्हे राजा नाव से उतरे. दरअसल बलिया से लेकर बिहार के बक्सर जिला में आई बाढ़ की विभीषिका के बीच एक उत्सवी माहौल देखने को मिला. बक्सर के सिमरी दियारा क्षेत्र में, जहां गंगा नदी के उफान और बाढ़ के पानी से घिरे इलाके में एक अनोखी बरात निकली. सड़कें डूब चुकी हैं, लेकिन शादी रद्द नहीं हुई. मंगलवार को दूल्हा और बाराती नाव पर सवार होकर दुल्हन के घर बलिया के बेयासी पहुंचे.
बलिया के बेयासी गांव में तय हुई शादी
यह अनोखी बारात नैनीजोर लाल डेरा गांव के रहने वाले कमलेश राम के पुत्र राजेश कुमार की थी. राजेश की शादी बलिया जिले के बेयासी गांव विरेन्द्र राम के यहां तय थी. सब तैयारी पहले से हो चुकी थी, लेकिन अचानक बाढ़ ने सारे रास्ते बंद कर दिए. गांव के लोगों ने देखा यह नजारा गंगा के ऊफान के कारण सड़क मार्ग पूरी तरह जलमग्न हो गया, ऐसे में बारात को टालना या रद्द करना मुश्किल था.
पहली बाद लोगों ने देखा ऐसा नजारा
इस विषम परिस्थिति में परिवार ने नाव से बरात ले जाने का फैसला किया. जब गांव के लोगों ने पहली बार एक अद्भुत नजारा देखा. गंगौली गांव के पास तटबंध के नीचे से एक सजी-धजी नाव पर बरात निकल रही थी. दूल्हा साफा पहने, पारंपरिक पोशाक में नाव पर बैठा था और उसके साथ बराती भी उसी जोश के साथ मौजूद थे. नाव पर कोई डीजे नहीं था, न ही बैंड-बाजा, लेकिन गंगा की लहरों की थपकी और नाविकों की ताल ने माहौल को खास बना दिया.
चर्च का विषय बनी शादी
लोगों ने अपने मोबाइल से इस खास बारात की फोटो और वीडियो बनाई और सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया. देखते ही देखते यह बारात इलाके में चर्चा का विषय बन गई. दूल्हे के पिता कमलेश राम ने बताया कि शादी की तारीख पहले से तय थी और रद्द करना हमारे लिए संभव नहीं था. इसलिए हमने नाव से बारात ले जाने का निर्णय लिया.
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