Ghazipur: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के ददरी घाट, हनुमानगढ़ क्षेत्र में गंगा नदी के किनारे एक चमत्कारिक घटना सामने आई है. यहां गंगा की लहरों में तैरता हुआ एक विशाल पत्थर देखा गया, जिसे स्थानीय लोग आस्था और चमत्कार से जोड़कर देख रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह पत्थर ढाई से तीन क्विंटल वजनी है, लेकिन फिर भी पानी की सतह पर तैरता रहा.
सुरक्षा के लिए पत्थर से बांधा पत्थर
सुबह मंदिर पहुंचे संत रामाधार को जब भक्तों ने इस अनोखी वस्तु के बारे में बताया, तो वे स्वयं गंगा घाट पहुंचे. श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों की मदद से पत्थर को किनारे लाया गया और इसे रस्सी से बांधकर सुरक्षित किया गया ताकि यह बह न जाए.
क्या त्रेतायुग का है पत्थर?
महंत रामाश्रय ने दावा किया कि यह पत्थर त्रेतायुग से जुड़ा हो सकता है. उनका कहना है कि रामायण में वर्णित रामसेतु के निर्माण में ऐसे ही पत्थरों का उपयोग हुआ था, जो पानी में डूबते नहीं थे. नल और नील को वरदान प्राप्त था कि उनके छूने से पत्थर भी जल में तैरेंगे. यह पत्थर उसी आस्था का प्रतीक माना जा रहा है.
तैरते पत्थर की पूजा के लिए उमड़ा भक्तों का सैलाब
घाट पर अब भक्तों का तांता लग गया है. लोग इसे भगवान श्रीराम का चमत्कार मानकर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. कई श्रद्धालु इसे रामेश्वरम के पवित्र पत्थरों से जोड़ रहे हैं और गंगाजल से धोकर फूल और दीप अर्पित कर रहे हैं.
हालांकि वैज्ञानिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन जनमानस में यह पत्थर श्रद्धा और रहस्य का केंद्र बन गया है. प्रशासन भी अब इसकी जांच की तैयारी कर रहा है.
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