Mirzapur Bhainsa Gaon: यूपी में कई संस्कृतियों और धर्मों का समागम है. यहां थोड़ी दूर पर भाषा और खाना बदल जाता है. प्रदेश में कुछ ऐसी जगह भी हैं जो अपने अजीबगरीब नाम से जानी जाती है. किसी शहर या गांव का नाम ऐसा होता है कि जिसके बारे में जानकर या सुनकर सोचने पर मजबूर हो जाते हैं. जैसे एक गांव का नाम बालमपुर है तो महिलाएं उसका नाम लेने में हिचकती है. आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही गांव के नाम की जिसका नाम अगर आपने सुना तो निश्चित तौर पर आपको हंसी आएगी. आइए जानते हैं इस गांव के बारे में..
पुरुष हंसते हैं और महिलाएं पकड़ लेती हैं माथा, यूपी के इस गांव का नाम सुन नहीं रोक पाएंगे हंसी
कहां है ये गांव
यूपी के मिर्जापुर में एक गांव है जिसका नाम है भैंसा गांव..जी हां भैंसा गांव. इसके नाम को लेकर खूब चर्चाएं होती हैं. हालांकि गांव के लोगों के पास इस बात का पुख्ता सबूत नहीं है कि ये नाम जो पड़ा है वो एकदम से सही है या गलत. कह सकते हैं कि गांव में परंपरा का निर्वाह होता है. यह गांव वाराणसी और भदोही बार्डर पर है. मिर्जापुर जिला मुख्यालय से भैंसा गांव करीब 40 किलोमीटर दूर है.
किवदंती भी हैं गांव के बारे में.....
गांव के नाम को लेकर कई किदवंती है. कुछ लोगों का कहना है कि पहले यहां रेलवे ट्रैक पर कई बार ट्रेन से भैंस टकराती थी. जिसके चलते कई पशुओं की मौत हुई. और इसी कारण इस गांव का नाम भैंसा पड़ गया. कुछ लोगों का कहना है कि यहां पर राजभर रहते थे. उन्हीं भर की वजह से नाम भैंसा गांव पड़ गया. गांव के नाम को लेकर कोई ऐतिहासिक और प्रमाणित उल्लेख मौजूद नहीं है. यहां पर जितने लोग हैं. नाम को लेकर उतने ही मत है. स्थानीय नागरिक के मुताबिक एक भैंसा ट्रेन से लड़ गया था और इंजन में फंस गया था. कई और भैंसों की मौत ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी. इस कारण से गांव का नाम भैंसा गांव पड़ा. हालांकि इसको लेकर कोई प्रमाणित साक्ष्य मौजूद नहीं है. कई किदवंतियां और कहानियां हैं, जो अलग-अलग लोगों के द्वारा बताई जाती हैं.
कितनी है आबादी
गांव की आबादी की बात करें तो लगभग यहां पर 5000 हजार के आसपास लोग रहते हैं. यहां पर एक रेलवे स्टेशन भी है. गांव में एक जूनियर हाईस्कूल, एक कन्या विद्यालय और तीन प्राथमिक विद्यालय हैं.
भर राजा से भी जुड़ा है नाम
कुछ लोगों का कहना है कि यहां पर राजभर रहते थे. उस समय भर ही राजा हुआ करते थे. उनके ही नाम पर इसका नाम रखा गया. हालांकि कोई ऐतिहासिक साक्ष्य नहीं मौजूद है. ऐसा कहा जाता है कि इस गांव का नाम अभी हाल ही में नहीं पड़ा बल्कि 200 साल से भी ज्यादा समय से इस गांव को भैंसा गांव बुलाया जाता है.
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