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अब नहीं होगी सास-बहू की तू-तू, मैं-मैं; खुशियों में लग जाएंगे चार चांद, परिवार का माहौल हो जाएगा एकदम स्वर्ग जैसा!

अब किसी के घर में सास-बहू के बीच झगड़े सुनने को नहीं मिलेंगे, जिससे परिवार की खुशियों में चार चांद लग जाएंगे. आइए, आपको बताते हैं कि यह कैसे संभव हो सकता है.  

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सांकेतिक तस्‍वीर
सांकेतिक तस्‍वीर
Zee Media Bureau|Updated: Jun 18, 2025, 12:56 PM IST
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Uttarakhand Hindi News: उत्तराखंड में अब सास-बहू के बीच के घरेलू झगड़े महज तकरार नहीं, बल्कि संवाद और समझ से सुलझाए जाएंगे. राज्य महिला आयोग ने एक बेहद संवेदनशील और दूरदर्शी पहल करने जा रही है. आइए आपको बताते हैं ये फैसला क्यों लिया गया? इसका आने वाले समय पर समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
 
क्यों जरूरी है यह पहल?
देशभर में घरेलू हिंसा और पारिवारिक कलह के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. खासकर सास-बहू के बीच की तकरार कई बार पूरे परिवार को प्रभावित कर देती है. छोटी-छोटी गलतफहमियां समय के साथ बड़ी दूरियों और हिंसा में बदल जाती हैं. इसी को ध्यान में रखकर 
राज्य महिला आयोग ने  प्रदेश के हर जिले में "तेरे मेरे सपने" नाम से सास-बहू सेल खोलने का ऐलान किया है.

क्या करेगा यह सास-बहू सेल?
इस सेल की सबसे खास बात यह है कि यह विवाद के बाद नहीं, बल्कि उससे पहले ही समाधान तलाशने की कोशिश करेगा. यानी विवाह से पूर्व ही सास और बहू दोनों की काउंसलिंग की जाएगी ताकि आपसी तालमेल बेहतर बने और वैवाहिक जीवन सौहार्दपूर्ण माहौल में शुरू हो. ऐसे में यह पहल एक उम्मीद की किरण है, जो सास-बहू को एक मंच पर लाकर न केवल उनके रिश्तों में मिठास घोलेगी, बल्कि पूरे परिवार की नींव को और मजबूत करेगी.

बोर्ड बैठक में लिया गया बड़ा फैसला
आयोग मुख्यालय में हुई बोर्ड बैठक में यह अहम निर्णय लिया गया. आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य है परिवारों में शांति और सौहार्द बनाए रखना, खासकर नवविवाहित दंपति और उनके परिवारों में, वहीं राज्य की दर्जाधारी मंत्री मधु भट्ट ने भी इस पहल को सराहा और कहा कि यह कदम समाज में सद्भाव, संवाद और समझदारी बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा.

हर जिले में खुलेंगे वन स्टॉप सेंटर
बैठक में हर जिले में दो-दो स्मार्ट वन स्टॉप सेंटर खोलने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. ये केंद्र महिलाओं को कानूनी सहायता, काउंसलिंग और अन्य मदद एक ही स्थान पर उपलब्ध कराएंगे. राज्य महिला आयोग की इस पहल को समाज में परिवारिक सौहार्द और महिलाओं की सशक्तता की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है.

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