हाथरस/सुमित कुमार: हाथरस के पशुपालन विभाग से एक बेहद गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां विभाग के एक पशु चिकित्सक ने अपने ही सिस्टम पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए हैं. सिकंदराराऊ क्षेत्र के पशु चिकित्सक डॉ. विवेक कुमार ने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी हाथरस को एक शिकायती पत्र सौंपकर खुलासा किया है कि उन्हें जो मानदेय सीमन टैगिंग और क्षेत्रीय कार्यों के लिए दिया जाता है, उसमें से 25 प्रतिशत हिस्सा जबरन सीवीओ के नाम पर वसूला जाता है.
"हर भुगतान में से हिस्सा मांगता है, कहता है ऊपर तक जाता है"
डॉ. विवेक ने बताया कि यह वसूली अगसौली पशु चिकित्सालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नरेंद्र प्रताप सिंह द्वारा की जाती है. उन्होंने दावा किया कि,नरेंद्र हर बार मुझसे मेरे खाते में आए रुपये का 25 प्रतिशत हिस्सा लेता है. वह खुलेआम कहता है कि यह पैसा ऊपर तक जाता है. इस आरोप के समर्थन में डॉक्टर ने कॉल ऑडियो रिकॉर्डिंग और बैंक लेन-देन के स्क्रीनशॉट भी सीवीओ को सौंपे हैं.
प्रभारी डॉक्टर बोले — ‘बात करने से मना किया गया है’
इस पूरे मामले में जब अगसौली पशु चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. वीरेंद्र से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, उच्चाधिकारियों का निर्देश है कि जब तक जांच प्रक्रिया चल रही है, तब तक मैं इस विषय पर कोई टिप्पणी या बयान नहीं दूं. उनका यह जवाब कई सवाल खड़े करता है, वह वाकई अनभिज्ञ थे या चुप्पी में कोई मजबूरी थी?
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी हाथरस का बयान:
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी हाथरस ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए कहा, डॉ. विवेक कुमार की शिकायत मिली है, जिसमें उन्होंने सबूत भी दिए हैं. हमने प्राथमिक स्तर पर तीन बिंदुओं पर जांच के आदेश दिए हैं. यदि कोई दोषी पाया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है. यह मामला सिर्फ एक डॉक्टर की शिकायत भर नहीं है, बल्कि यह पूरे विभाग में जमी दलाली व्यवस्था की ओर इशारा करता है. सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या कार्रवाई सिर्फ निचले स्तर तक सिमटेगी या “ऊपर तक” पहुंचने वाली सच्चाई भी सामने आएगी?
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