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Kalyan Singh: यूपी का वो सीएम,‌ जिसने 20 महीने जेल में काटे, राम मंदिर के लिए गंवाया मुख्यमंत्री पद

Story of Kalyan Singh: जब भी अयोध्या के विवादित ढांचे (बाबरी मस्जिद) की बात होती है, तो तुरंत उत्तर प्रदेश के चर्चित पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का नाम याद आता है. बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया? आइए जानते है उनके राजनीतिक सफर पर.. 

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Aligarh, Kalyan Singh
Aligarh, Kalyan Singh
Zee Media Bureau|Updated: Jan 05, 2025, 03:42 PM IST
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Kalyan Singh Birth Anniversary: यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने अपने साहस, संघर्ष और विचारधारा से देश की राजनीति में अमिट पहचान बनाई. साधारण परिवार से आने वाले कल्याण सिंह ने आरएसएस से प्रेरणा लेकर समाजसेवा में कदम रखा और हिंदू राजनीति के प्रमुख चेहरे के रूप में उभरे.  बाबरी विध्वंस के बाद उन्होंने अपनी स्पष्टवादिता और दृढ़ता के चलते देशभर में लोकप्रियता हासिल की. दो बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) छोड़ने के बावजूद उनकी राजनीतिक सक्रियता और हिंदुत्व के प्रति समर्पण कभी कम नहीं हुआ. 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के मढ़ौली गांव में हुआ. उनके पिता तेजपाल सिंह लोधी और माता सीता देवी थीं. उन्होंने स्नातक और साहित्य रत्न (एलटी) की शिक्षा प्राप्त की और अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के रूप में की.

राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रेरणा लेकर कल्याण सिंह ने समाजसेवा में कदम रखा और जनसंघ की राजनीति में शामिल हुए. 1967 में वे पहली बार जनसंघ के टिकट पर अलीगढ़ जिले की अतरौली सीट से विधायक बने. इसके बाद 2002 तक वे लगातार दस बार विधायक चुने गए. आपातकाल (1975-77) के दौरान 20 महीने जेल में भी रहे. 

राम मंदिर आंदोलन और मुख्यमंत्री पद
1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के नायक के रूप में कल्याण सिंह का उदय हुआ. 1991 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत हासिल किया, तो वे मुख्यमंत्री बने. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शपथ ली. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. 

इस्तीफे के बाद कल्याण सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाबरी विध्वंस भगवान की मर्जी थी. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है. राम मंदिर के लिए सत्ता कुर्बान करना मेरा धर्म है.

पार्टी से मतभेद और वापसी
कल्याण सिंह ने दो बार बीजेपी छोड़ी. 1999 में पार्टी नेतृत्व से मतभेद के कारण उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. 2004 में वे पार्टी में वापस लौटे, लेकिन 2009 में दोबारा पार्टी छोड़ दी. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई और मुलायम सिंह यादव से भी हाथ मिलाया. हालांकि, 2014 में उन्होंने दोबारा बीजेपी में वापसी की और कहा कि अब जिंदगीभर पार्टी के साथ रहेंगे.

राज्यपाल और बाद का जीवन
2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया. उनका राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा. 2020 में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें बाबरी विध्वंस मामले में निर्दोष करार दिया. 

व्यक्तिगत जीवन और परिवार
उनके परिवार में पत्नी रामवती देवी, एक बेटा राजवीर सिंह (भाजपा सांसद), और पोते संदीप सिंह (योगी सरकार में मंत्री) शामिल हैं. 

मृत्यु
कल्याण सिंह का निधन 21 अगस्त 2021 को लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में हुआ. उन्होंने अपने जीवन में राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित किया और राम मंदिर आंदोलन के प्रतीक के रूप में अमर हो गए. 

प्रमुख योगदान और विरासत
बाबरी विध्वंस के बाद हिंदू राजनीति का प्रमुख चेहरा बने.
राम मंदिर आंदोलन को राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में लाया.
प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक दूरदर्शिता के लिए पहचाने गए.
बीजेपी को पिछड़े वर्गों में लोकप्रिय बनाया.

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