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एनटीटी डिप्लोमाधारकों के सरकारी टीचर्स बनने की उम्मीदों को झटका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

 Allahabad HighCourt: कोर्ट से सारी दलीलों को खारिज करते हुए कहा है कि दोनों ही चीजें अलग अलग है. बीटीसी और  नर्सरी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बराबर नहीं हो सकते.  कोर्ट ने ये भी कहा है कि बीटीसी का पाठ्यक्रम कक्षा 5 तक पढ़ाने के लिए है.

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Allahabad HighCourt
Allahabad HighCourt
Sumit Tiwari |Updated: Feb 17, 2024, 06:24 PM IST
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Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुटी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. कोर्ट ने नर्सरी प्रशिक्षण प्रमाण बीटीसी के बराबर मानने से इनकार कर दिया है. कोर्ट के अनुसार ये बीटीसी क्लास 5 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए डिप्लोमा कोर्स के लिए दिया जाता है. वहीं नर्सरी ट्रेनिंग सर्टीफिकेट प्री स्कूल और क्लास 2 तक बच्चों को पढ़ाने के लिए दिया जाता है. 

बता दें कि कोर्ट से सारी दलीलों को खारिज करते हुए कहा है कि दोनों ही चीजें अलग अलग है. बीटीसी और 
नर्सरी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बराबर नहीं हो सकते.  सर्टिफिकेट ट्रेनिंग (शिशु शिक्षा) की पाठ्य सामग्री प्री-स्कूल से कक्षा-2 तक पढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है.  न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने बाराबंकी जिले की माला यादव, ममता, बिंदु यादव व अन्य की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश दिया. याचीगणों ने उप्र बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में 2013 में सहायक अध्यापक के लिए आवेदन किया था. 

आवेदकों ने नर्सरी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र के आधार पर सहायक शिक्षक भर्ती की काउंसलिंग में भाग लिया, लेकिन आवश्यक योग्यता नहीं होने का हवाला देकर नियुक्त नहीं दी गई. कोर्ट ने ये भी कहा है कि बीटीसी का पाठ्यक्रम कक्षा 5 तक पढ़ाने के लिए है. याचिकों ने कोर्ट में अपील की थी नर्सरी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र की तरह बीटीसी भी वर्षीय उर्दू बीटीसी पाठ्यक्रम है. यीचीगण ने दावा किया था कि प्रशिक्षण प्रमाण पत्र बीटीसी और डिप्लोमा के बराबर है. लिहाजा वह भी इसकी पात्रता रखते है. कोर्ट ने इन सारी दलीलों को खारिज कर दिया है. 

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