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धर्म परिवर्तन किया तो अखबार में देना होगा विज्ञापन, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया अहम आदेश

Allahabad Highcourt: देश में अकसर धर्म को लेकर लोगों में आपसी विवाद बने रहते हैं. धर्म परिवर्तन की खबरें भी खूब आती हैं. अब धर्म परिवर्तन करने के लिए विज्ञापन देना जरूरी होगा. एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत में लोग अपना धर्म चुनने और बदलने के लिए स्वतंत्र हैं.

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Allahabad High Court (file)
Allahabad High Court (file)
Zee Media Bureau|Updated: Apr 12, 2024, 10:33 AM IST
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मयूर शुक्ला/लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा है कि भारत में लोग अपना धर्म चुनने और बदलने के लिए स्वतंत्र हैं, हालांकि, ऐसे परिवर्तनों को कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो. कोर्ट ने कहा कि इसके लिए शपथ पत्र और अखबार में विज्ञापन देना होगा.कोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक या लिखित घोषणा से धर्म परिवर्तन नहीं हो जाता. इसके विश्वसनीय साक्ष्य होने चाहिए. धर्म परिवर्तन वैध हो, ताकि सरकारी पहचान पत्रों में दर्ज किया जा सके.यह आदेश जस्टिस प्रशांत कुमार ने सोनू उर्फ वारिस अली व दो अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया. 

देश में कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि कानूनी प्रकिया से हुआ धर्म परिवर्तन वैध है लेकिन इसे छिपाकर नहीं किया जाए. हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि देश में कोई भी व्यक्ति धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो. इसके साथ कोर्ट ने कहा कि इसके लिए शपथ पत्र और न्यूज पेपर में विज्ञापन दिया जाना जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धर्म परिवर्तन से कोई सार्वजनिक आपत्ति नहीं है. यह भी सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि कोई धोखाधड़ी या अवैध धर्म परिवर्तन नहीं है. इसके साथ ही सभी सरकारी आईडी पर नया धर्म दिखाई देना चाहिए. जस्टिस प्रशांत कुमार की सिंगल बेंच ने इस बात पर खास जोर दिया कि किसी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन की इच्छा का विश्वसनीय प्रमाण होना चाहिए.

मुस्लिम लड़के के लिए लड़की ने बदला धर्म
मामले के तथ्यों के अनुसार याची ने शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी से शादी की. जिससे  उनकी एक बच्ची  है और दोनों साथ रह रहे हैं. नाबालिग लड़की हिंदू है.  याची का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से शादी के लिए धर्म परिवर्तन किया है. कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई है. कोर्ट के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि लड़की ने अपना धर्म हिंदू से मुस्लिम में परिवर्तित किया है और इसके बाद, स्वेच्छा से याचिकर्ता वारिस अली के साथ विवाह किया था. अपर शासकीय अधिवक्ता ने इन बातों के सत्यापन के लिए कोर्ट से समय मांगा कि धर्म परिवर्तन शादी के लिए किया गया है या वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर अपनी मर्जी से किया गया है. कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह मई की तारीख लगाई है.

UP में लागू है गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम
यूपी में गैरकानूनी धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अधिनियम 2021 लागू किया गया.  यह अधिनियम गलत बयानी,जबरदस्ती, बल, अनुचित प्रभाव,  प्रलोभन या छल से या विवाह द्वारा एक से दूसरे धर्म में गैरकानूनी रूपांतरण पर रोक लगाता है. अधिनियम की धारा 8 के मुताबिक धर्म परिवर्तन करने से 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को घोषणा पत्र देना होगा.  

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