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सुंदर भाटी को सजा देने वाले जज पर निशाना, नोएडा जाते वक्त हथियारबंद बदमाशों ने घेरा, चौकी में घुसकर बचाई जान

Sundar Bhati: आरोप है कि कार सवार पांच बदमाशों ने नोएडा जाते समय विशेष न्यायाधीश (ईसी एक्ट) की गाड़ी ओवरटेक कर रोकने की कोशिश की. इतना ही नहीं उन्‍हें धमकी भी दी. 

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Sundar Bhati
Sundar Bhati
Amitesh Pandey |Updated: Nov 11, 2024, 11:32 AM IST
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Sundar Bhati: कुख्यात सुंदर भाटी को उम्रकैट की सजा सुनाने वाले जज को बदमाशों ने अलीगढ़ में हाईवे पर घेर लिया. बदमाशों ने उन्‍हें असलहा दिखाकर डराया धमकाया. जज साहब किसी तरह जान बचाकर पुलिस चौकी पहुंचे. इस घटना के बाद यूपी पुलिस के अफसरों के हाथ पांव फूल गए. सूचना पर आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए और एफआईआर दर्ज कराई. 

जज की कार का पीछा कर धमकाया 
बताया गया कि फर्रुखाबाद में विशेष न्यायाधीश (ईसी एक्ट) अनिल कुमार कार से नोएडा जा रहे थे, तभी एक बोलेरो में सवार पांच बदमाशों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया. बदमाशों ने जज साहब की गाड़ी ओवरटेक कर रोकने की कोशिश की. असलहा दिखाकर उन्‍हें धमकी भी दी. इतना ही नहीं विशेष न्‍यायाधीश अनिल कुमार ने अपनी कार सोफा पुलिस चौकी के अंदर घुसा दी. इसके बाद बदमाशों ने उनका पीछा छोड़ा. जज साहब ने इस घटना की साजिश में सुंदर भाटी गिरोह के शामिल होने का शक जताया है. उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई है. 

सुंदर भाटी गैंग पर घटना की साजिश का आरोप 
विशेष न्यायाधीश (ईसी एक्ट) फर्रुखाबाद अनिल कुमार की एफआईआर के मुताबिक, पांच अज्ञात व्यक्तियों ने आतंकित किया और मारने के इरादे से हमले की कोशिश की. जब उन्‍होंने अपनी कार सोफा पुलिस चौकी के सामने रोकी तो बदमाश अपनी कार मोड़कर फरार हो गए. उन्होंने कहा है कि सुंदर भाटी और उसके गिरोह के सदस्यों की पहले कभी दोषसिद्धी नहीं हुई थी, उन्होंने ही पहली बार 2021 में सुंदर भाटी और गिरोह के सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, हो सकता है कि सजा का बदला लेने के लिए ही हमले की साजिश रची गई हो. 

कौन हैं सुंदर भाटी? 
बता दें कि कुख्‍यात सुंदर भाटी ग्रेटर नोएडा के घघौला गांव का रहने वाला है. सुंदर भाटी गैंग और पूर्व जिला पंचायत नरेश भाटी गिरोह के बीच गैंगवार होते रहे हैं. अब तक सुंदर भाटी पर 60 से अधिक मामले दर्ज हैं. सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके गनर की हत्या में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद वह 23 अक्तूबर को सोनभद्र जेल से रिहा हुआ था. इसके छह दिन बाद 29 अक्तूबर को न्यायाधीश का पीछा किए जाने की घटना हुई. 

 

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