BJP Leader Chandrabhan Paswan: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत बीजेपी के लिए आसान नहीं थी. पासी-मुस्लिम और यादव बाहुल्य इस सीट पर कमल खिलाने में बीजेपी ने फूंक-फूंक कर कदम रखे. सबसे ज्यादा 70 हजार पासी वोटरों की तादाद देखते हुए बीजेपी ने सबको चौंकाया और कांटे से कांटा निकालने की रणनीति पर चलते हुए दलित समुदाय के चंद्रभानु पासवान को प्रत्याशी बनाया. इसके लिए बाबा गोरखनाथ समेत कई दिग्गजों की दावेदारी को दरकिनार कर दिया. जातिगत समीकरणों को साधने के बाद यहां भाजपा ने हिन्दुत्व के मुद्दे को धार दी और अयोध्या लोकसभा चुनाव में हार को लेकर भावनात्मक कार्ड खेला. यही वजह है पार्टी ने 61 हजार वोटों से बंपर जीत दर्ज की.
राजनीतिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि
उनका परिवार भी राजनीति में सक्रिय रहा है.
पत्नी कंचन पासवान दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं.
पिता बाबा राम लखन दास 2021 में ग्राम प्रधान चुने गए थे.
परिवार का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भी गहरा जुड़ाव है.
चंद्रभानु पासवान के लिए राजनीति कोई नया क्षेत्र नहीं था, बल्कि उन्हें घर से ही राजनीतिक अनुभव मिला.
अधिवक्ता से जनसेवा तक का सफर
3 अप्रैल 1986 को रुदौली के परसौली गांव में जन्मे चंद्रभानु पासवान ने बीकॉम, एमकॉम और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की. वकालत के पेशे से जुड़े होने के साथ-साथ वे कपड़ा और कागज उद्योग में भी सक्रिय हैं. उनका व्यवसाय केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि गुजरात के अहमदाबाद और सूरत तक विस्तारित है. वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी की जिला कार्यसमिति में सदस्य के रूप में कार्यरत हैं और 2024 के चुनाव में अनुसूचित जाति संपर्क प्रमुख की भूमिका निभा चुके हैं.
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