गोंडा (अतुल यादव): गोंडा में तैनात उपनिदेशक रेशम विभाग को दिल्ली से एक सिम कार्ड लेना भारी पड़ गया. सिम के नाम पर ही साइबर अपराधियों ने फोन कर अपने झांसे में लेकर 78 लाख 80 हजार रुपए की ठगी की गई है. एक नहीं दो नहीं बल्कि साइबर अपराधियों द्वारा 17 दिन तक डिजिटल अरेस्ट करके उपनिदेशक को रखा गया. पीड़ित ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराकर मदद की गुहार लगाई है.
साइबर फ्रॉड ने कैसे जाल में फंसाया
पीड़ित उपनिदेशक ने पुलिस को दर्ज कराई गई शिकायत में है बताया कि 15 जनवरी को शाम 6 बजे लगभग उनके मोबाइल पर फोन आया और कहा गया कि उनके आधार कार्ड से एयरटेल का सिम लिया गया है. युवक ने अपना नाम अरविंद कुमार बताया और कहा कि आपके नंबर से कई अवैधानिक काम हुए हैं. लोगों से पैसे मांगने के लोगों को धमकी देने,लोगों के अवैध तरीके से वीडियो बनाने और एमएमएस बनाकर लोगों को भेज कर ब्लैकमेल करने का काम हुआ है. इसके बाद कॉल को द्वारकापुरी पुलिस स्टेशन नई दिल्ली के हेड क्वार्टर से कनेक्ट करने की बात कही.
फर्जी IPS बन जमाई धौंस
पुलिस हेडक्वाटर द्वारकापुरी के कथित आईपीएस अधिकारी से पीड़ित की बात कराई. जिसने बताया गया कि अशोक गुप्ता नाम से नई दिल्ली में एचडीएफसी बैंक में खाता खोला गया है और इस खाते से 68 करोड़ की मनी लांड्रिंग किया गया है. पीड़ित को यह भी धमकाया गया कि उसने लेनदेन में कमीशन लिया है और 5 लाख रुपए में अशोक गुप्ता के खाते को बेचने का भी आरोप लगाया.
केस दर्ज होने का हवाला देकर किया फ्रॉड
साइबर अपराधियों ने यह भी कहा कि 57 अन्य मामले भी दर्ज हैं और राकेश कुमार आईपीएस तथा कथित रूप से जांच अधिकारी नामित किए गए हैं. पीड़ित की बात तथाकथित आईपीएस अधिकारी से कराई गई और उन्होंने भी यही सब बातें बताई. 15 जनवरी से लेकर 2 फरवरी तक इन लोगों ने डिजिटल अरेस्ट किया गया. डिजिटल अरेस्ट होने से पीड़ित मानसिक शारीरिक व आर्थिक रूप से परेशान है. उसके साथ बड़े पैमाने पर फ्रॉड किया गया है.
जांच के नाम पर डराकर ट्रांसफर कराए पैसे
साइबर अपराधियों ने यह भी कहा कि आपको नई दिल्ली जाकर के जमानत करना पड़ेगा और इस बीच मेरे मोबाइल नंबर पर एक दूसरे नंबर से कॉल आया और कहा गया कि आपको जमानत के रूप में 9 लाख 80000 आरबीआई के सस्पेंस अकाउंट में डाल दो. इसी बीच मुझे प्रॉपर्टी नौकरी और पैसे के लेनदेन के फ्लो की जांच के लिए कई दिनों में कुल 78. 80 लाख रुपए यह कहते हुए आरबीआई के सस्पेंस अकाउंट में डलवाए गए कि आपके धनराशि का वेरिफिकेशन किया जा सके.
बैंक से कर्ज और दोस्तों से लेना पड़ा उधार
पीड़ित ने बताया कि इन्हीं सब चीजों को देखते हुए वह विवश हो कर बैंक से कर्जा लेकर मित्रों से उधार लेकर के अपनी जमीन बेचकर कुल 78 लाख 80 हजार रुपए साइबर अपराधियों को दिया है. इसके अलावा 2 लाख रुपये की अतिरिक्त की मांग की जा रही थी. इसी बीच मेरे व्हाट्सएप नंबर पर सीबीआई,दिल्ली उच्च न्यायालय, प्रवर्तन विभाग के लगे मोनोग्राम के साथ कई मुझे पत्र भी भेजे गए और बीच-बीच में यह भी कहा गया कि आपकी धनराशि का 100% सत्यापन कर जिस खाते से अपने पैसा भेजा गया है उसे वापस कर दिया जाएगा.
पीड़ित ने लगाई मदद की गुहार
लेकिन ना अभी तक पैसा भेजा गया और ना ही कुछ किया गया मैं थक हार करके मानसिक रूप से परेशान हूं और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर के कार्रवाई की मांग करता हूं. पीड़ित ने दर्ज कराए गए फिर में साइबर अपराधियों का कुछ विवरण भी दिया है. पीड़ित ने बताया कि मोहम्मद तसलीम आरिफ, नीपम अजीत सिंह,बंटी भोंसले डेरी फार्म, कौशल, कबीर हुसैन, मोहम्मद हसन, अलीम बिल्डिंग मटेरियल, नदीम अहमद सहित कई खाताधारकों के खाते में जो हमने धनराशि भेजी है। उसका भी स्टेटमेंट और कई कागजात पुलिस को हमने उपलब्ध कराया है.
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