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अयोध्या में सरयू तट पर 21000 पुजारी करेंगे राम नाम महायज्ञ, रामलला प्राण प्रतिष्ठा से पहले 1008 शिवलिंगों के बीच हवन

Ayodhya News : रामलला की प्राणप्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में रामनाम महायज्ञ होने जा रहा है. सरयू तट पर 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की स्थापना होगी. इसके लिए सरयू के किनारे 100 एकड़ में टेंट सिटी बसाया गया है.  आइए जानते हैं रामनाम महायज्ञ में क्या होगा खास

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अयोध्या में सरयू तट पर 21000 पुजारी करेंगे राम नाम महायज्ञ, रामलला प्राण प्रतिष्ठा से पहले 1008  शिवलिंगों के बीच हवन
Updated: Jan 14, 2024, 11:21 AM IST
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अयोध्या : राम की नगरी अयोध्या में भव्य राम मंदिर उद्घाटन के लिए तैयार है. 22 जनवरी 2024 को भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. इस कार्यक्रम से पहले पहले सरयू तट पर 'राम नाम महायज्ञ' शुरू होगा. इसमें हिस्सा लेने के लिए नेपाल से 21 हजार पुजारी आ रहे हैं.

आत्मानंद दास महात्यागी उर्फ नेपाली बाबा इस महायज्ञ का नेतृत्व करेंगे. इस यज्ञ के दौरान सरयू तट पर 1008 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की स्थापना होगी. इसके लिए सरयू के किनारे 100 एकड़ में टेंट सिटी बसाया गया है. इसमें 1008 टेंट लगाए गए हैं. महायज्ञ के लिए यज्ञ मंडप भी बनकर तैयार है.

नेपाली बाबा अयोध्या के ही मूल निवासी हैं, लेकिन बाद में नेपाल में बस गए. वह हर साल इस महायज्ञ का आयोजन करते हैं. इसमें भारत ही नहीं विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

नेपाली बाबा का कहना है कि ''मैं यह यज्ञ हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर करता हूँ. लेकिन इस साल हमने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर इसे बढ़ा दिया है.'' इस महायज्ञ का आयोजन करने वाले आत्मानंद दास महात्यागी का जन्म अयोध्या के फटिक शिला इलाके में हुआ था. वह तपस्वी नारायण दास के शिष्य हैं. आत्मानंद दास महात्यागी बताते हैं कि नेपाल नरेश ने ही उनका नाम नेपाली बाबा रखा था.

बताया जा रहा है कि महायज्ञ समाप्त होने के बाद 1008 शिवलिंगों को पवित्र सरयू नदी में विसर्जित किया जाएगा. महायज्ञ रामायण के 24 हजार श्लोकों के जाप के साथ 17 जनवरी से हवन शुरू होगा जो 25 जनवरी तक चलेगा. हर दिन 1008 शिवलिंगों का पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा. यज्ञशाला में बने 100 कुंडों में 1100 जोड़े राम मंत्रों के उच्चारण के साथ हवन करेंगे. 

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अंतिम चरण में नक्काशी का काम 
नर्मदेश्वर शिवलिंगों को तैयार करने के लिए पत्थर मध्य प्रदेश से लाए गए हैं. यह पत्थर नर्मदा नदी से ही एकत्रित किए गए हैं. इन पत्थरों पर नक्काशी का काम अंतिम चरण में है. 17 जनवरी से होने वाले इस महायज्ञ कार्यक्रम के लिए तैयारियाँ अंतिम चरण में है. इस दौरान प्रति दिन 50 हजार से एक लाख भक्तों के लिए प्रसाद तैयार होता है. 

 

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