Ram Ke Bhajan: प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक हैं. भगवान राम का मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है. तुलसीदास जी के द्वारा रचित रामचरितमानस में श्रीराम के पूरे जीवन का उल्लेख है. इस ग्रंथ में लिखा गया है कि जब श्रीराम का जन्म हुआ तो भय प्रगट कृपाला दीन दयाला स्तुति की गई थी.प्राण प्रतिष्ठा के दिन आप भी अपने घर पर इसका पाठ करें और प्रभु श्रीराम का आशिर्वाद प्राप्त करें.
रामलला की स्तुति
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला.
कौसल्या हितकारी.
हरषित महतारी, मुनि मन हारी.
अद्भुत रूप बिचारी..
लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा.
निज आयुध भुजचारी.
भूषन बनमाला, नयन बिसाला.
सोभासिंधु खरारी..
कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी.
केहि बिधि करूं अनंता..
माया गुन ग्यानातीत अमाना.
वेद पुरान भनंता..
करुना सुख सागर, सब गुन आगर.
जेहि गावहिं श्रुति संता..
सो मम हित लागी, जन अनुरागी.
भयउ प्रगट श्रीकंता..
ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया.
रोम रोम प्रति बेद कहै.
मम उर सो बासी, यह उपहासी.
सुनत धीर मति थिर न रहै..
उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना.
चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै.
कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई.
जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै..
माता पुनि बोली, सो मति डोली.
तजहु तात यह रूपा.
कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला.
यह सुख परम अनूपा..
सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना.
होइ बालक सुरभूपा..
यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं.
ते न परहिं भवकूपा..
दोहा:
बिप्र धेनु सुर संत हित.
लीन्ह मनुज अवतार.
निज इच्छा निर्मित तनु.
माया गुन गो पार..