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Ram Mandir News : श्री रामचरितमानस की इन 10 चौपाइयों का रोज करें पाठ, सफलता कदम चूमेगी

Ayodhya News : यदि आप अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण हासिल नहीं कर पाए हैं तो कोई बात नहीं. आप घर पर ही रहकर रामायाण का पाठ करें. रामायाण की हर चौपाई में स्वयं प्रभु श्रीराम के दर्शन होते हैं. इनमें भी कुछ चौपाई ऐसी हैं जिनका तत्काल आपके जीवन पर असर दिखेगा.  

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 Ram Mandir News : श्री रामचरितमानस की इन 10 चौपाइयों का रोज करें पाठ, सफलता कदम चूमेगी
Zee Media Bureau|Updated: Jan 21, 2024, 01:37 PM IST
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Ayodhya News :  मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जीवन हमें हर संकट में राह दिखाता है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है. इस कार्यक्रम में बॉलीवुड कलाकारों और उद्योगपतियों समेत देशभर के वीआईपी लोगों को आमंत्रित किया गया है. भीड़ अधिक होने की वजह से आम श्रद्धालुओं का वहां पहुंचना कठिन है. ऐसे में बेहतर होगा कि आप घर पर ही राम के नाम का जाप करें.

यदि आपको भी किसी तरह का संकट या चिंता सता रही है, तो आप मानस मंत्र का सहारा ले सकते हैं. वैसे तो श्रीरामचरितमानस की हर चौपाई अपने आप में मंत्र जैसा असर रखती है, लेकिन कुछ चौपाइयों का मंत्र के रूप में प्रयोग प्रचलित है, जो आपको संकट से उबारने में मदद करते हैं. साथ ही किसी भी तरह की मनोकामना को भी पूरी करते हैं. आइए जानते हैं रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों के बारे में, जो अत्यंत सरल और असरदार हैं. जीवन में किसी भी तरह की परेशानी में आप इसका जाप कर सकते हैं. मान्यता है कि इससे आपके जीवन में तत्काल असर देखने को मिलता है.

किसी भी संकट को दूर करने के लिए
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।

जॉब मिलेगी
विस्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत जस होई।।

यात्रा की सफलता के लिए
प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।

शादी जल्दी होगी
तब जन पाई बसिष्ठ आयसु ब्याह।  साज सँवारि कै।।
मांडवी, श्रुतकी, रति, उर्मिला कुँअरि लई हंकारि कै।।

विद्या मिलेगी
गुरु गृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल विद्या सब आई॥

परीक्षा में होंगे पास
जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी। कबि उर अजिर नचावहिं बानी॥
मोरि सुधारिहि सो सब भाँती। जासु कृपा नहिं कृपाँ अघाती॥

आलस्य से मिलेगा छुटकारा
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रणाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम।।

सभी मनोरथ को पूरा करने के लिए
भव भेषज रघुनाथ जसु,सुनहि जे नर अरू नारि।
तिन्ह कर सकल मनोरथ सिद्ध करहि त्रिसिरारि।।

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