जौनपुर: जेल का नाम सुनते ही आम लोग सिहर जाते हैं. एक ऐसी जगह जहां अपराधियों को उनके गुनाह के लिए सजा के तौर पर रखा जाता है. जेल में हर तरह के अपराधी होते हैं. कुछ हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों में सजा काट रहे होते हैं तो कुछ मामूली चोरी डकैती और छिनैती के मामलों में. जेल के नियम बहुत कठोर होते हैं जहां सबकुछ सीमित दायरे में होता है.
जौनपुर के एहतेशाम सिद्दकी को जब 24 साल की उम्र में मुंबई ब्लास्ट के मामले के आरोप में जेल हुई तो उसे लगा कि अब जिंदगी में क्या ही बचेगा. शादी को कुल छह महीने हुए थे. लेकिन सिद्दकी ने 19 साल जेल की सजा काटते हुए अपने समय का ऐसा सदुपयोग की आज उनकी हर जगह चर्चा हो रही है. एहतेशाम सिद्दकी ने 19 साल में कुल 7 डिग्रियां, 13 सर्टिफिकेट और 3 डिप्लोमा हासिल कर लिये.
डिग्री और डिप्लोमा के नाम
बीए सोशलॉजी, एमए सोशलॉजी, इंग्लिश से एमए, पॉलिटिकल साइंस से एमए, एमबीए एचआर, बैचलर इन टूरिज्म स्टडीज की डिग्री ली. तो वहीं बिजनेस लॉ, साइबर लॉ, डिजास्टर मैनेजमेंट, गाइडेंस, ह्यूमन राइट्स, उर्दू लैंग्वेंज, अरबी लैंग्वेज, टीचिंग इंग्लिश, मार्केटिंग, फाइनेंशियल मैनेजमेंट और तमाम विषयों पर डिप्लोमा और सर्टिफिकेट लिए हैं. एहतेशाम सिद्दीकी की एलएलबी अभी जारी है.
करीब दो दर्जन डिग्री, डिप्लोमा के अलावा एहतेशाम सिद्दीकी ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम 'हॉरर सागा' है. इस किताब में जेल में रहने वाले कैदियों के साथ होने वाले व्यवहार के बारे में बताया गया है.
19 साल बाद घर पहुंचे, पिता ने खिलाई मिठाई
19 साल की सजा काट कर जब एहतेशाम सिद्दीकी जौनपुर स्थित अपने घर पहुंचे तो पिता ने उन्हें मिठाई खिलाकर खुशी जताई. पिता ने कहा कि उन्हें न्याय पालिका पर पूरा भरोसा था और वो बेटे के आने पर बहुत खुश हैं.
6 महीने की शादी के बाद पत्नी करती रही इंतजार
एहतेशाम सिद्दीकी को जब जेल भेजा गया तो उनकी शादी को बस 6 महीने ही हुए थे.वो अपनी पत्नी को माता-पिता के पास छोड़ गए थे. एहतेशाम सिद्दीकी पत्नी की तारीफ करते हुए कहते हैं कि उन्हें इस बात की खुशी कि पत्नी ने इतने बरसों तक मेरा इंतजार किया. वो चाहती तो अपनी नई जिंदगी शुरू कर सकती थी. लेकिन उसने मुझपर भरोसा जताया और हमेशा जेल में मिलने आती रही.
कैसे हुई जेल और क्या था मामला
एहतेशाम सिद्दीकी के मुताबिक वर्ष 2001 में उन्होंने मुंबई के एक कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया था. वो एक लाइब्रेरी में पढ़ाई करते थे जो असल में सिमी(स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) द्वारा चलाई जा रही थी, लेकिन सिद्दीकी को इस बारे में पता नहीं था. एक दिन उन्हें लाइब्रेरी में पढ़ते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि कोर्ट ने उन्हें बेल दे दी थी लेकिन सिद्दीकी के मुताबिक पुलिस ने इसी गिरफ्तारी को आधार बनाकर वर्ष 2006 के मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में उन्हें आरोपी बना दिया.
जेल में धीरे-धीरे बदला अधिकारियों रवैया
सिद्दीकी बताते हैं कि शुरु में जेल के अधिकारियों का बर्ताव उनके प्रति अच्छा नहीं था. लेकिन जैसे-जैसे वो मुझसे परिचित हुए उनके व्यवहार में बदलाव आता गया. हालांकि जेल जाने से उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई जरूर बीच में छूट गई, लेकिन पढ़ाई में मेरी रूचि देखते हुए मुझे लाइब्रेरी उपलब्ध कराई गई. मुझे मुंबई से नागपुर जेल में ट्रांसफर कर दिया गया. जहां मैंने 19 साल की सजा के दौरान कुल 7 डिग्रियां, 13 सर्टिफिकेट और 3 डिप्लोमा हासिल किये.
एहतेशाम सिद्दीकी का आगे का प्लान
एहतेशाम सिद्दीकी की अभी LLB की पढ़ाई जारी है. वो कहते हैं इसे पूरा करने के बाद आगे की जिंदगी के बारे में सोचूंगा. पहले तो वो अपने परिवार के साथ कुछ समय बिताएंगे. उन्हें बहुत कुछ जानना है क्योंकि 19 साल में तकनीक काफी बदल गई है.
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