trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand02778175
Home >>बस्ती

यूपी के इस चीनी मिल में करोड़ों का घपला, कई अफसरों पर गिरी गाज, जानिए कैसे हुआ पैसों का बंदरबांट

Basti News:  उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में 27 साल बाद शुरू हुए मुंडेरवा चीनी मिल में गन्ना विकास के नाम पर करीब 12 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया.

Advertisement
Basti News
Basti News
Zee Media Bureau|Updated: May 29, 2025, 03:50 PM IST
Share

राघवेंद्र सिंह/बस्ती: 27 साल बाद शुरू हुए बस्ती जिले की मुंडेरवा चीनी मिल में गन्ना विकास के नाम पर करीब 12 करोड़ के महाघोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया. यह सिर्फ पैसों का हेरफेर नहीं, बल्कि उन लाखों मेहनतकश किसानों की उम्मीदों पर चोट है, जिनके विकास और खुशहाहाली के लिए यह धनराशि आवंटित की गई थी.

कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
सबसे बड़ा सवाल है  कि आखिर यह 12 करोड़ रुपये का घोटाला कैसे हुआ? जांच में सामने आया है कि वर्ष 2021 से 2023 के बीच मुंडेरवा चीनी मिल के अधिकारियों ने कानपुर की एक निजी एजेंसी, लीनिंग सिक्यूरिटी सर्विस, के साथ मिलकर इस बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. यह एजेंसी गन्ने के विकास कार्यों, जैसे उन्नत बीज वितरण, सिंचाई सुविधाओं का विकास, और कीट नियंत्रण जैसी महत्वपूर्ण गतिविधियों के लिए अनुबंधित की गई थी.

कागजों पर दिखाया काम
किसान डेवलपमेंट स्कीम के तहत प्रति हेक्टेयर 3500 से लेकर 2500 तक भुगतान किया गया. शुरुआती अनुबंध के तहत, इस एजेंसी को मिल के आसपास के 160 गांवों के किसानों के गन्ना विकास संबंधित कार्य करने थे, लेकिन मिल के अधिकारियों और इस संस्था की मिलीभगत देखिए, बिना किसी आधिकारिक अनुमति या जमीनी काम के, कागजों पर 430 गांवों में गन्ना विकास का कार्य दिखा दिया गया.

270 गांव में दिखाया फर्जी गन्ना विकास
इसका सीधा मतलब यह है कि 270 गांवों में फर्जी गन्ना विकास दिखाकर करोड़ों का भुगतान ले लिया गया. उन किसानों को क्या मिला, जिनके नाम पर यह पैसा खाया गया? हद तो तब हो गई जब घोटालेबाजों ने उन गांवों को भी ''विकसित'' दिखा दिया, जहां किसानों ने खुद अपनी लागत और मेहनत से गन्ना विकास के संबंध में कार्य किए थे. यह किसानों के साथ सिर्फ धोखा है.

भ्रष्टाचार की खुली पोल
यह घोटाला सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाता है. जहां एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है, वहीं कुछ भ्रष्ट अधिकारी और निजी एजेंसियां मिलकर उन्हीं योजनाओं का पैसा डकार रहे हैं. यह सिर्फ वित्तीय अनियमितता नहीं, बल्कि किसानों के भरोसे के साथ किया गया क्रूर मज़ाक है.

रोक के बाद हुआ भुगतान
इस पूरे मामले में एक और बेहद गंभीर पहलू सामने आया है, जो भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर करता है. वर्ष 2021 से 2023 के बीच, 160 गांवों में गन्ना विकास के लिए सरकार ने लीनिंग सिक्योरिटी सर्विस को 15 करोड़ रुपये का ठेका दिया था. इसमें से 12 करोड़ रुपये का भुगतान मुंडेरवा चीनी मिल के जीएम और सीए ने मिलकर कर दिया था. यह भुगतान तब किया गया, जब गन्ना आयुक्त ने इस पर स्पष्ट रूप से रोक लगाई हुई थी.

किसानों में गुस्सा
गन्ना आयुक्त ने शेष 3.12 करोड़ रुपये के भुगतान पर रोक लगाई. लेकिन, सवाल यह है कि गन्ना आयुक्त की रोक के बावजूद पहले ही इतनी बड़ी रकम क्यों और कैसे जारी कर दी गई, और इसके पीछे कौन-कौन से बड़े नाम शामिल हैं? किसानों में इस घोटाले को लेकर भारी रोष है.

सीएम योगी का एक्शन
घोटाले में शामिल अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की गई है. मुख्य गन्ना प्रबंधक कुलदीप द्ववेदी को निलम्बित कर दिया है, बृजेंद्र द्विवेदी (पूर्व जीएम) सेवानिवृत्त  इनकी पेंशन रोकी गयी, रवि प्रभाकर (पूर्व चार्टर्ड अकाउंटेंट) और रूपेश कुमार मल्ल (वर्तमान CA) के खिलाफ  आरोप पत्र जारी किए गए हैं, जबकि एसके मेहरा (प्रधान प्रबंधक, चीनी निगम) को बर्खास्त कर दिया गया है.

 

अवैध हुक्का बार में चिलम,पाइप,फ्लेवर तंबाकू पी रहे थे नाबालिग, अंदर का नजारा देख सन्न रह गई पुलिस

मिलिए इस हाईटेक नटवरलाल से, झांसी से कानपुर तक किराए पर लिए ट्रक और 5 लाख रुपये में कबाड़ी को बेचे

 

 

 

Read More
{}{}