Siddharthnagar News: सिद्धार्थनगर जिला कारागार में हाल ही में हुए औचक निरीक्षण के दौरान गांजा और मोबाइल फोन बरामद होने के गंभीर मामले पर कार्रवाई करते हुए जेल प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है. इस घटना के बाद डीआईजी जेल एस.के. मैत्रेय ने डिप्टी जेलर त्रिलोकी नाथ, हेड वार्डन फूलचंद यादव, वार्डन उमेश कुमार और एक अन्य जेल कर्मी सौरभ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. जेल अधीक्षक सचिन वर्मा ने इस निलंबन की पुष्टि की है, और बताया कि यह कार्रवाई तीन दिन पहले ही कर दी गई थी.
25 सितंबर 2024
यह घटना 25 सितंबर 2024 को तब सामने आई जब जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति और जिला जज, पुलिस अधीक्षक प्राची सिंह समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने जिला कारागार का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान एक बंदी, जो पाक्सो एक्ट के तहत जेल में बंद था, ने जिलाधिकारी से मिलने की गुहार लगाई और जोर-जोर से आवाज लगाने लगा. जिलाधिकारी का ध्यान उसकी ओर गया और उन्होंने उसे बुलाया. बंदी ने आरोप लगाया कि जेल के अंदर गांजा बेचा जा रहा है. इसके अलावा, उसने अपने पास छिपाए गए 20 ग्राम गांजा को भी जिलाधिकारी को दिखाया. उसने जेल के अंदर एक स्थान की भी जानकारी दी जहां और अधिक गांजा छिपाया गया था.
मोबाइल की बरामदगी और गांजा बिक्री का खुलासा
बंदी ने जेल के चार मोबाइल फोन भी जिलाधिकारी के सामने प्रस्तुत किए. मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए और इस पूरे मामले की सूचना शासन को भेजी. बंदी के खुलासे के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया, क्योंकि यह मामला जेल के अंदर हो रही अवैध गतिविधियों की ओर इशारा कर रहा था. जांच के दौरान बंदी ने डिप्टी जेलर पर गंभीर आरोप लगाए कि वे जेल के अंदर गांजा बिकवाने का काम करते हैं, और अगर कोई बंदी इसे खरीदने से मना करता है, तो उसकी पिटाई की जाती है.
जांच और कार्रवाई
मामले की जांच डीआईजी जेल एस.के. मैत्रेय ने की और तीन दिन पहले ही उन्होंने जेल का निरीक्षण कर आरोपों की पुष्टि की. प्रथम दृष्ट्या, डिप्टी जेलर त्रिलोकी नाथ समेत चार अन्य जेलकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई. इसके बाद, डीआईजी ने डिप्टी जेलर समेत सभी चार जेलकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. निलंबित कर्मियों में हेड वार्डन फूलचंद यादव, जेल वार्डन उमेश कुमार और एक अन्य कर्मी सौरभ भी शामिल हैं.
जेल प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना ने जेल प्रशासन और वहां की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि जेल के अंदर गांजा और मोबाइल जैसे आपत्तिजनक सामान कैसे पहुंचे. इस मामले ने जेल के अंदर हो रही अवैध गतिविधियों की पोल खोल दी है और यह मामला अब शासन और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. जेल अधीक्षक सचिन वर्मा ने भी इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि यह घटना बेहद गंभीर है और जांच जारी है. जेल में इस प्रकार का अवैध सामान पहुंचने की प्रक्रिया को समझना और रोकथाम करना अब प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.
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