Chattisgarh News: भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का ऐलान कर दिया है. यहां बीजेपी ने राज्य में आदिवासी वोटर को लुभाने के लिए विष्णुदेव साय को आगे किया है. पार्टी ने आदिवासी नेता विष्णु देव साय को ट्राइबल स्टेट की जिम्मेदारी दी है. बता दें कि सीएम की दौड़ में कई बड़े-बड़े नेता शामिल थे, लेकिन सबको पछाड़ते हुए विष्णु देव छत्तीसगढ़ के चौथे मुख्यमंत्री बनेंगे तो चलिए आपको बताते हैं कि वह क्या कारण थे. जिसके चलते पार्टी ने विष्णु देव साय को छत्तीसगढ़ की कमान सौंपी है.
आदिवासी समाज से आते हैं
विष्णुदेव साय आदिवासी समुदाय से आते हैं और इसी को देखते हुए बीजेपी ने आदिवासी राज्य में एक आदिवासी को कमान सौंपी है. आपको बता दें कि विष्णुदेव साय कुनकुरी के बगिया गांव के रहने वाले हैं और आदिवासी समुदाय से आते हैं. गौरतलब है कि राज्य में आदिवासी समुदाय की आबादी 32 फीसदी है. जो राज्य की राजनीति के लिए बेहद अहम है.
रमन सिंह के करीबी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विष्णुदेव साय के 15 साल तक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के करीबी हैं. विष्णुदेव साय के रमन सिंह के साथ घनिष्ठ संबंध है. बता दें कि रमन सिंह, जो 15 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. इस बार भी वह मुख्यमंत्री बनने की रेस में थे. कहीं न कहीं पार्टी में उनके करीबी को सीएम बनाकर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की है.
आलाकमान के साथ मजबूत संबंध
केंद्रीय मंत्रिमंडल में नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के बाद विष्णुदेव साय ने पार्टी आलाकमान के भीतर एक स्वच्छ छवि स्थापित की. सांसद के रूप में चार कार्यकाल के ट्रैक रिकॉर्ड और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने काम किया. आपको बता दें कि उनके अनुभव और पार्टी नेताओं के साथ तालमेल ने उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में अहम भूमिका निभाई.
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लोकसभा चुनाव
गौरतलब है कि हाल ही में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की आदिवासी सीटों पर बड़ी जीत हासिल की है. अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 17 पर बीजेपी की जीत हुई. वहीं, 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी तीन आदिवासी सीटें जीतने में सफल रही थी.लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विष्णुदेव साय को आदिवासी मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी इन क्षेत्रों में अपनी बढ़त बरकरार रखना चाहेगी.
संघ के करीबी
विष्णुदेव साय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के करीबी हैं और ये भी छत्तीसगढ़ की सत्ता उन्हें सौंपने का एक प्रमुख कारण है. 2020-22 में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने उस समय राज्य में काम किया जब पार्टी विपक्ष में थी. साय को संघ के करीबी नेताओं में माना जाता है.