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पापा, मैं बच नहीं पाऊंगा...धराली की तबाही में गूंजती रही बेटे की आखिरी आवाज, नेपाली कपल ने बयां किया खौफनाक मंजर

Uttarkashi Cloudburst Flood: धराली में जान बचाने की मुहिम तेज कर दी गई है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें लापता लोगों को तलाश करने में जुटी हैं. नेपाली कपल ने तबाही का मंजर याद कर सहम गया.   

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Uttarkashi Cloudburst Flood
Uttarkashi Cloudburst Flood
Zee Media Bureau|Updated: Aug 07, 2025, 04:26 PM IST
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Uttarkashi Cloudburst Flood: उत्‍तरकाशी के धराली में आई तबाही में कई लोग लापता हो गए हैं. तबाही में जिसकी जान बच गई है वह खौफनाक मंजर को यादकर सहम जा रहा है. नेपाल से आए एक मजदूर कपल ने आंखों देखी बयां की है. नेपाली मजदूर कपल ने बताया कि उनके सामने लोगों की जान चल रही है. वह किसी तरह बच निकले. हालांकि, बाढ़ में उनका बेटा लापता हो गया है. 

26 मजदूरों का ग्रुप आया था धराली 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विजय सिंह अपनी पत्‍नी काली देवी और बेटे के साथ धराली में मजदूरी करने आए थे. हादसे के समय वह धराली में ही थे. विजय सिंह ने बताया कि घाटी में सड़क और पुल बनाने के लिए नेपाल से 26 मजदूरों का एक ग्रुप आया था. वह भी उसी ग्रुप का हिस्‍सा थे. विजय सिंह ने बताया कि उन्‍हें अंदाजा नहीं था कि घाटी में ऐसी आपदा आएगी. 

बेटे से फोन कॉल को याद किया 
विजय सिंह और उनकी पत्‍नी काली देवी ने अपने बेटे के साथ दो मिनट की उस फोन कॉल को भी याद किया. कपल ने बताया कि घाटी में बादल फटने से मची तबाही से ठीक से पहले वह अपने बेटे से फोन पर बात कर रहे थे. विजय सिंह ने बताया कि बेटे ने मुझसे बताया कि 'पापा, हम बच नहीं पाएंगे, नाले में बहुत पानी है. विजय सिंह नेपाल से घाटी में सड़क बनाने के लिए आए थे. विजय सिंह की पत्‍नी काली देवी ने बताया कि "जब हम घाटी से निकले थे, तो हमने कभी नहीं सोचा था कि इस इलाके में ऐसी आपदा आएगी. 

हर्षिल घाटी जाने की जिद कर रहा नेपाली कपल 
काली देवी ने कहा कि अगर तबाही के बारे में पता होता, तो वह अपने बच्चों को यहां नहीं छोड़ती. वह अपने पति के साथ गंगावाड़ी तक पैदल चली थीं, जो हर्षिल घाटी जाने वाला रास्ता है, जब उन्हें पता चला कि भागीरथी नदी पर बना सीमा सड़क संगठन का एक अहम पुल बाढ़ में बह गया है, तो उन्हें वापस लौटना पड़ा. काली देवी बार-बार सरकार और अफसरों से गुहार लगा रही हैं कि उन्‍हें हर्षिल घाटी के पास छोड़ दिया वह अपने बच्‍चों को तलाश लेंगी. बता दें कि हर्षिल घाटी में सेना का कैंप था. बादल फटने से मची तबाही में कैंप में तैनात 8 से 10 जवान भी लापता हो गए हैं. 

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