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Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर गंगा और सहायक नदियों में उमड़ा जनसैलाब, उत्तरकाशी में देव डोलियां भी लगाती हैं डुबकी

Uttarkashi Makar sankranti 2024: देवताओं के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के पर्व मकर संक्रांति पर उत्तराखंड में गंगा और सभी सहायक नदियों में आस्था का सैलाब उमड़ता है. माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर 2:00 बजे तक लगभग 1630000 लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। गंगा के उद्गम स्थल पर यह पर्व बहुत ही अलग प्रकार से मनाया जाता है. जानें उत्तरखंड में कैसे देव डोलियां लगाती हैं आस्था की डुबकी....  

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Uttarkashi Makar sankranti 2024
Uttarkashi Makar sankranti 2024
Zee Media Bureau|Updated: Jan 15, 2024, 05:08 PM IST
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हेमकान्त नौटियाल/ उत्तरकाशी: देवताओं के दक्षिणायन से उत्तरायण होने के पर्व को मकर संक्रांति का पर्व कहा जाता है. उत्तराखंड में गंगा और सभी सहायक नदियों में भारी संख्या में सनातनी लोग स्नान करते हैं. हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि स्थानों पर तड़के से श्रद्धालुओं की स्नान के लिए भीड़ लग जाती है. माघ मेले के प्रथम स्नान पर्व मकर संक्रांति के अवसर पर 2:00 बजे तक लगभग 1630000 लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई है.  स्नान के बाद पूजा अर्चना के साथ ही दान दक्षिणा देकर श्रद्धालु पुण्य लाभ लेते हैं. वहीं, जगह-जगह खिचड़ी के रूप में प्रसाद का वितरण भी किया गया. कुमाऊं के मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. वहीं, नदियों के घाटों में स्नान को लेकर लोगों में उत्साह रहा. 

विस्तार से- 
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर उत्तरकाशी में हजारों श्रद्धालुओं और देव डोलियों ने गंगा (भागीरथी) में आस्था की डुबकी लगा रहे है. पूजा अर्चना के बीच श्रद्धालुओं ने मंदिरों में भी जलाभिषेक किया. भागीरथी का हाड कंपा देने वाला पानी भी श्रद्धालुओं के उत्साह को कम नहीं कर पाया. क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या जवान, मकर संक्रांति के पावन पर्व पर आस्था की डुबकी लगाने में कोई भी पीछे नहीं दिख रहा था. आज तड़के सुबह से ही उत्तरकाशी में गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा. दर्जनों देव डोलियों की मौजूदगी, ढोल-नगाड़ों की आवाज और मां गंगा के जयकारों से नगर का माहौल भक्तिमय हो गया. मकर संक्रांति के स्नान को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा. टिहरी और दूरदराज क्षेत्रों से रविवार से ही देव डोलियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था. उत्तरकाशी के पौराणिक मणिकर्णिका, जड़भरत, गंगोरी, केदार, लक्षेश्वर आदि स्नान घाटों पर सोमवार तड़के ढाई बजे से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी. स्नान पर्व पर नाग देवता, बाल कंडार, धनारी क्षेत्र से नागराजा, चंदणनाग, नागणी देवी, रनाड़ी के कचड़ू देवता, डुंडा की रिंगाली देवी, गाजणा क्षेत्र से भैरव, चौरंगी नाथ, नागराजा, बरसाली के नागराजा, रेणुका देवी, चिन्यालीसौड़ की राजराजेश्वरी, टिहरी से सुरकंडा देवी आदि दर्जनों देवी-देवताओं की डोलियां, ढोल, निशान आदि के साथ हजारों श्रद्धालु उत्तरकाशी पहुंच रहे है. 

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मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी का है. ज्योतिष के अनुसार सूर्य देव 14 जनवरी की रात 2 बजकर 53 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर रहें हैं. लेकिन हरिद्वार में आज से ही गंगा स्नान शुरू हो गया है. पुराणों में उत्तरायण पर्व को विशेष स्थान दिया हुआ है. भीष्म पितामह उत्तरायण पर्व के लिए तीर शैय्या पर लेटे रहे. मान्यता है कि, जिसकी मृत्यु उत्तरायण पर्व में होती है, उनका जन्म पृथ्वी लोक पर नहीं होता. जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब उत्तरायण पर्व शुरू हो जाता है. पर्व पर पवित्र नदी में स्नान करके तिल, खिचड़ी, वस्त्र का दान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है.

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