Uttarkashi Cloudburst Rescue Update: उत्तराखंड में उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने से प्रभावित क्षेत्र में भारतीय सेना का रेस्क्यू अभियान तीसरे दिन भी जारी है. आइये जानते हैं अब तक रेस्कयू कहां तक पहुंचा है और आगे का क्या प्लान है.
मलबे और कीचड़ की वजह से धराली का सिविल हैलीपैड अभी भी बंद पड़ा है. हालांकि हर्षिल में मिलिट्री हेलीपैड चालू है. नीलोंग के पास स्थित हैलीपैड भी चालू है जहां से सड़क मार्ग से गंगोत्री जा सकते हैं.
वहीं मौके पर 225 से ज्यादा सैनिक तैनात हैं. जिनमें इंजीनियर, चिकित्सा दल और बचाव विशेषज्ञ शामिल हैं. वहीं आगे की तैनाती के लिए एक और रीको रडार को शामिल किया जा रहा है इसके अलावा खोजी और बचाव कुत्ते भी सैनिकों के साथ मौजूद हैं.
चिनूक और MI 17 हेलीकॉप्टर जॉलीग्रांट हवाईअड्डे पर तैयार है. अगर मौसम अनुकूल रहा तो वो राहत और बचाव दल की मदद के लिए पहुंचेंगे. गंगोत्री में फंसे लगभग 180-200 पर्यटकों को भारतीय सेना और आईटीबीपी द्वारा भोजन, आश्रय और चिकित्सा सहायता प्रदान की जा रही है.
इसके अलावा SDRF से तालमेल रखते हुए सहस्त्रधारा से मातली-भटवारी- हर्षिल के बीच 5 हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भर रहे हैं और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थान और चिकित्सा केंद्रों तक ले जा रहे हैं. वहीं बचाव दल की मूवमेंट के लिए ITBP के मातली हैलीपैड पर विमानन बेस स्थापित किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक अब तक 70 नागरिक बचाए जा चुके हैं 50 से ज्यादा लापता हैं. 2 शव और मिले हैं. 3 की मौत की पुष्टि हो चुकी है. इसके अलावा एक सेना के 8-9 जवान भी लापता बताए जा रहे हैं. 9 सैनिकों और 3 नागरिकों को भी हेलीकॉप्टर से देहरादून भिजवाया गया है.
इससे पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने धराली का दौरा किया. मध्य कमान के सेना कमांडर और यूबी क्षेत्र के जीओसी जमीनी स्तर पर अभियानों की निगरानी कर रहे है. मध्य कमान के चीफ ऑफ स्टाफ, निर्बाध हेलीकॉप्टर संचालन के लिए मध्य वायु कमान मुख्यालय के साथ समन्वय कर रहे हैं
चिनूक हेलीकॉप्टरों के ज़रिए अर्धसैनिक बलों और चिकित्सा दलों को हर्षिल पहुंचाया जाएगा. एमआई-17 हेलीकॉप्टरों द्वारा एनडीआरएफ कर्मियों और चिकित्साकर्मियों को नेलोंग पहुँचाया जाएगा. वापसी उड़ानों में पर्यटकों को नेलोंग हेलीपैड से निकाला जाएगा. उत्तरकाशी और तेक्ला से आगे सड़क खोलने के प्रयास जारी है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि ज़ी यूपी/यूके नहीं करता.