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Garwali Mithai: पहाड़ की असली मिठास है 'अड़सा', गरमा-गरम खाएं या हफ्ते बाद, नहीं बदलता स्वाद

Uttarakhand Traditional Sweet dish: अरसा..रुकिए... हम किसी समय की बात नहीं कर रहे हैं, यह तो उत्तराखंड की बेहद खास मिठाई है.  स्वाद ऐसा कि एक बार खा लें तो इसकी मिठास भूल नहीं पाएंगे.  

 

 

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उत्तराखंड में कई प्रसिद्ध मिठाइयाँ
उत्तराखंड में कई प्रसिद्ध मिठाइयाँ

उत्तराखंड में कई प्रसिद्ध मिठाइयाँ हैं, जिनमें से बाल मिठाई, सिंगोरी और अरसा (Pahari Rasgulla) विशेष रूप से लोकप्रिय हैं. बाल मिठाई एक चॉकलेट जैसी दिखने वाली मिठाई है जो खोया से बनती है और चीनी के सफेद गोलों से ढकी होती है. सिंगोरी एक खोया-आधारित मिठाई है जिसे पत्तों में लपेटकर परोसा जाता है. अरसा एक कुरकुरी मिठाई है जो चावल के आटे, गुड़, और सरसों के तेल से बनती है. हम आपको बताते हैं पहाड़ी मिठाई अरसा के बारे में..

 

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उत्तराखंड की खास मिठाई
उत्तराखंड की खास मिठाई

अरसा यानी कि एक लंबा समय बीत जाना. इसी शब्द पर उत्तराखंड (Uttarakhand)  के पहाड़ी क्षेत्रों में विवाह समेत अन्य शुभ कार्यों पर एक मिठाई बनाई जाती है जिसे, अड़सा कहा जाता है. पहाड़ की संस्कृति मे रची-बसी यह मिठाई अपने आप में शुभ मानी जाती है. लेकिन धीरे-धीरे इस मिठाई का चलन कम होता चला है. आइए इस रिपोर्ट में जानते हैं इसकी वजह

 

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शुभ कामों में 'अड़सा'
शुभ कामों में 'अड़सा'

दरअसल, पहाड़ी राज्य उत्तराखंड अपनी अलग संस्कृति और रीति-रिवाजों के लिए पूरे देश में अलग पहचान रखता है. यहां पर होने वाले विवाह समेत अन्य शुभ कार्यों पर बनने वाली मिठाई अड़सा भी है जोकि, शुभ कार्यों में आने वाले मेहमानों को विदाई के समय मिठाई के रूप में दी जाती है. 

 

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लंबी चलती है ये मिठाई
लंबी चलती है ये मिठाई

इसमें कई मेहमान ऐसे होते हैं जो लंबे अरसे बाद एक दूसरे से मिल रहे होते हैं. गुड़ की घोल में चावल के आटे को मिलाकर बनाई जाने वाली यह मिठाई बेहद स्वादिष्ट और लंबे समय तक चलने वाली होती है. 

 

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स्वाद और सेहत से भरपूर
स्वाद और सेहत से भरपूर

स्वाद और सेहत से भरपूर इस पकवान की खासियत यह है कि इसे गरमा गरम खाएं या एक महीने बाद, स्वाद में कोई फर्क नहीं मिलेगा. अरसा आपके मुंह में कुछ ऐसी मिठास घोल देगा.

 

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पहाड़ी संस्कृति की पहचान है 'अड़सा'
पहाड़ी संस्कृति की पहचान है 'अड़सा'

'अड़सा' पहाड़ी संस्कृति में अलग पहचान रखती है. पर यह मिठाई अब धीरे-धीरे चलन से बाहर होती जा रही है. इसकी जगह बाजार में बनने वाले लड्डू समेत अन्य बाजार की मिठाइयों ने लेनी शुरू कर दी है.

 

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इस मिठाई का सांस्कृतिक महत्व
इस मिठाई का सांस्कृतिक महत्व

बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि पहाड़ के वाशिंदे इस मिठाई के सांस्कृतिक महत्व को समझते हुए इसको बढ़ावा देने की कोशिश करेंगे ताकि आने वाली पीढ़ियां इस मिठाई के सांस्कृतिक महत्व के बारे में जान सकें.

 

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डिस्क्लेमर
डिस्क्लेमर

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

 





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