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धराली त्रासदी: कितने लोगों का हुआ रेस्क्यू, जानें ताजा अपडेट, विशेषज्ञों ने भविष्य की आपदा को लेकर किया अलर्ट

Uttarakhand Cloudburst Updates/हेमकांत नौटियाल: उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने से आई भीषण बाढ़ ने महज 34 सेकेंड में पूरे गांव को मलबे में बदल दिया. खीरगंगा नदी में अचानक आए सैलाब ने अब तक 5 लोगों की जान ले ली, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं. आइए जानते हैं अब तक कितने लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. 

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डीएम ने आपदा को लेकर क्या बताया?
डीएम ने आपदा को लेकर क्या बताया?

उत्तरकाशी धराली आपदा का आज छठवां दिन है और लगातार धराली में रेस्क्यू कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है जिलाधिकारी प्रशांत कुमार आर्य का कहना है कि यात्रियों सहित स्थानीय लोगों को हेलीकॉप्टरों के द्वारा उत्तरकाशी, देहरादून एयर लिफ्ट किया गया है अब करीब 100 स्थानीय लोग हैं जो उत्तरकाशी , देहरादून जाना चाहते हैं उनको भेजा जा रहा है. 

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लापता लोगों की तलाश जारी है.
लापता लोगों की तलाश जारी है.

वहीं राहत सामग्री वितरण कार्य भी किया जा रहा है सड़क मार्ग गंगनानी में वैली ब्रिज आज शाम तक बन जाएगा. धराली में सड़क कनेक्टिविटी शुरू होने वाली है. सोनगाड़ के पास सड़क बनने में अभी 3-4 दिन का समय लगेगा जिलाधिकारी ने बताया कि धारली ,हर्षिल सहित अन्य क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बहाल कर दी गई है और लगातार डॉग स्क्वाड की सहायता से लापता लोगों की तलाश जारी है.

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कितने लोगों का अब तक किया गया रेस्क्यू
कितने लोगों का अब तक किया गया रेस्क्यू

एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और अन्य एजेंसियां युद्धस्तर पर राहत-बचाव कार्य कर रही हैं. अब तक 1000 पर्यटक और श्रद्धालुओं को सुरक्षित एयरलिफ्ट किया जा चुका है. आठ हेलीकॉप्टर मातली हेलीपैड से संचालित हो रहे हैं, जबकि चिनूक, एमआई, एएलएच और चीता हेलीकॉप्टर भी अभियान में शामिल हैं. 260 से अधिक हेलीकॉप्टर फेरे लगाए जा चुके हैं.

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10 कुंतल सब्जियां
10 कुंतल सब्जियां

आपदा में लगे जवानों और बचाव दल के लिए उत्तरकाशी के सब्जी व्यापारियों ने 10 कुंतल सब्जियां मातली हेलीपैड भेजीं. इसे हेलीकॉप्टर से हर्षिल पहुंचाया जा रहा है. इस तरह का स्थानीय सहयोग न केवल राहत कार्य को गति देता है. 

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मजदूरों ने क्या बताया?
मजदूरों ने क्या बताया?

धराली से लौटे मजदूरों और ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ इतनी तेज थी कि 25-30 साथी मलबे में दब गए. कुछ लोग पेड़ों पर चढ़कर बचे, जबकि कई मुखवा गांव की ओर भागे. प्रत्यक्षदर्शियों का अनुमान है कि 200-250 लोग सैलाब की चपेट में आए होंगे. उनके मुताबिक, पुल बहने और रास्ते बंद होने से स्थिति और गंभीर हो गई.

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सीएम पुष्कर सिंह धामी
सीएम पुष्कर सिंह धामी

वहीं उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि जिन लोगों के घर इस आपदा में पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, उन्हें पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए तत्काल सहायता के रूप में 5 लाख दिया जाएगा. इतना ही नहीं बल्कि जान गंवाने वालों के परिवारों को भी 5 रुपये भी दिया जाएगा. 

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विशेषज्ञों ने क्या बताया?
विशेषज्ञों ने क्या बताया?

विशेषज्ञों का मानना है कि अनियंत्रित निर्माण, पहाड़ों का कटान, और जलवायु परिवर्तन मिलकर ऐसी आपदाओं की आवृत्ति बढ़ा रहे हैं. ढलानों और नदी किनारों पर होटल, रिसॉर्ट और सड़क निर्माण भू-संरचना को कमजोर कर देते हैं. इससे भारी बारिश के समय भूस्खलन और मलबा बहाव की आशंका कई गुना बढ़ जाती है, जिससे जान-माल का नुकसान होता है.

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डॉ. नरेंद्र सिंह की चेतावनी
डॉ. नरेंद्र सिंह की चेतावनी

डॉ. नरेंद्र सिंह जैसे वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि यदि हिमालयी राज्यों में बिना वैज्ञानिक सर्वे के निर्माण गतिविधियां जारी रहीं, तो आने वाले वर्षों में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं और भी विनाशकारी होंगी. ग्लोबल वार्मिंग, जंगलों की कटाई और स्थानीय तापमान में वृद्धि, बादलों की संरचना और बारिश के पैटर्न को बदलकर आपदा की आशंका को और गहरा रही है.





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