उत्तरकाशी के गंगोत्री धाम के करीब स्थित इस गांव में दोपहर के समय अचानक बादल फटने से खीर गंगा नदी उफान पर आ गई और गांव के कई हिस्से मलबे और पानी की चपेट में आ गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दर्दनाक हादसे में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं.
धराली गांव राष्ट्रीय राजमार्ग-34 पर हर्षिल से करीब 6-7 किलोमीटर आगे और राजधानी देहरादून से लगभग 220 किलोमीटर दूर स्थित है. यह क्षेत्र धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. यह समुद्र तल से नौ हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
उत्तरकाशी के धराली गांव में बड़ी संख्या में होम स्टे और होटल मौजूद हैं. बादल फटने के बाद आई तेज बारिश और पहाड़ से आए मलबे के कारण कई इमारतें माचिस की डिब्बियों की तरह बहती हुई नजर आईं. स्थानीय लोग और पर्यटक दहशत में हैं.
जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस और सेना की टीमें मौके पर पहुंचकर बचाव और राहत कार्य में जुटी हुई हैं, लेकिन लगातार बारिश और खराब मौसम के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में भारी मुश्किलें आ रही हैं. कई मकान पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बसे घर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं. आशंका है कि कुछ लोग अब भी मलबे में दबे हो सकते हैं.
प्रशासन ने राहत कार्यों को गति देने के साथ ही लोगों की मदद के लिए आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं. उत्तरकाशी जिला प्रशासन: 01374-222126, 01374-222722, 9456556431, हरिद्वार जिला आपदा केंद्र: 01374-222722, 7310913129, 7500737269, टोल फ्री नंबर: 1077 | आपात सेवा: 112, और राज्य आपदा परिचालन केंद्र, देहरादून: 0135-2710334, 2710335, 8218867005, 9058441404 के नंबर हैं.
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून सीजन में लगातार बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएं होती रहती हैं, जिससे जन-धन की भारी क्षति होती है. धराली की यह घटना एक बार फिर इस सवाल को उठाती है — ऐसी आपदाओं के लिए हम कितने तैयार हैं.
उत्तरकाशी के हरसिल में सेना के हेलीपैड को बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है. सेना के कुछ कर्मियों के लापता होने की भी खबर है. इसके अलावा सेना के पोस्ट को भी नुकसान पहुंचा है. अभी आंकलन किया जा रहा है.
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