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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वनमंत्री हरक सिंह को भी फटकारा

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने जिम कार्बेट में पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण मामले में उत्तराखंड के पूर्व वनमंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद को कड़ी फटकार लगाई है.

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जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, वनमंत्री हरक सिंह को भी फटकारा
Zee News Desk|Updated: Mar 06, 2024, 03:43 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने जिम कार्बेट में पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण मामले में उत्तराखंड के पूर्व वनमंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद को कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही सीबीआई से इस मामले में 3 महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को सौंपने को कहा है. राष्ट्रीय उद्यानों के बफर जोन या इससे सटे क्षेत्र में टाइगर सफारी बनाने की अनुमति को लेकर एक समिति का भी गठन किया है. 

समिति का किया गठन 
सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है जो ये देखेगी कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर जोन या इससे बिल्कुल सटे इलाके में टाईगर सफारी बनाने की अनुमति दी जा सकती है. समिति की सिफारिश पहले से मौजूद सफ़ारी पर भी लागू होंगी. जिम कॉर्बेट पार्क में सफारी बनाए जाने की प्रस्तावित योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह समिति गठित की है.

सीबीआई को 3 महीने में रिपोर्ट सौंपने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट पार्क में सफारी बनाने की अनुमति दे दी है लेकिन साफ किया है कि समिति की सिफारिश इस पर भी लागू होगी. कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की मंजूरी देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद को फटकार लगाई है. कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह इस मामले में 3 महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को दे.

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में टाइगर सफारी योजना पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील गौरव कुमार बंसल का कहना है, "सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जो जांच की है उस पर अंतरिम रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि क्या सफारी की जा सकती है बफर क्षेत्र में या नहीं. फिर SC कहता है कि जहां तक ​​टाइगर रिजर्व में सफारी की अवधारणा का सवाल है, SC की गठित समिति इस पर गौर करेगी और वे शर्तें लागू करेंगी..."

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी है कि राजनेताओं और वन अधिकारियों के बीच सांठगांठ के कारण कुछ राजनीतिक और व्यावसायिक लाभ के लिए पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच कर रही सीबीआई से तीन महीने में स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा है.

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