Deoria Hindi News/त्रिपुरेश त्रिपाठी: उत्तर प्रदेश के देवरिया से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना की साख को भी गहरा धक्का पहुंचाया है. बैतालपुर विकासखंड के लखनचंद गांव में वर्षो से मुर्दो और बाहर रहने वाले लोगों के नाम पर मजदूरी निकाली जा रही है.
यह जानकर कोई भी हैरान रह जाएगा कि गांव के जिस जवाहर की मौत तीन साल पहले हो चुकी है, उनके नाम पर अब भी सरकारी धन मजदूरी के नाम पर उनके खाते में भेजा जा रहा है. यही नहीं, श्रीनिवास, रामेश्वर और रामलखन जैसे लोग जो लंबे समय से गांव से बाहर दूसरे राज्यों में मजदूरी कर रहे हैं, वे भी "कागजों में" गांव में 'मजदूरी' कर रहे हैं और मेहनताना उठा रहे हैं.
कैसे हुआ खुलासा?
मामले का खुलासा तब हुआ जब एक जागरूक नागरिक ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की. शिकायत के आधार पर सीडीओ (मुख्य विकास अधिकारी) द्वारा जांच कराई गई, जिसमें यह गंभीर लापरवाही सामने आई.
CDO का बयान
सीडीओ ने बताया कि जांच में मनरेगा के तकनीकी सहायक (टीए) और ग्राम सचिव की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. दोनों के खिलाफ जल्द ही कार्रवाई की जाएगी. प्रशासन ने ऐसे मामलों पर सख्ती बरतने और दोषियों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की बात कही है. गौरतलब है कि मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराना है, लेकिन लखनचंद जैसे गांवों में इस योजना को भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाया जा रहा है.
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