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यूपी के इस जिले में पैदा हुए थे योग के जनक महर्षि पतंजलि, पर्दे के पीछे रहकर सिखाते थे योग, शिष्य ने देखा तो तत्काल भस्म

International yoga day 2025:  महर्षि पतंजलि को योग का जनक माना जाता है.  उन्होंने योग सूत्रों की रचना की, जो योग के दर्शन और अभ्यास पर एक प्राचीन ग्रंथ है. क्या आप जानते हैं योग के जनक की जन्मस्थली कहां है.

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International yoga day 2025
International yoga day 2025
Preeti Chauhan|Updated: Jun 20, 2025, 01:28 PM IST
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International yoga day 2025: आज जिस योग की पूरी दुनिया दीवानी है और जिसे निरोगी जीवन का आधार माना जाता है उस योग के प्रणेता का जन्म यूपी के गोंडा में हुआ था.  हम बात कर रहे हैं योग के जनक  महर्षि पतंजलि की. उनका जन्म गोंडा जिले के वजीरगंज कस्बा से थोड़ी दूर स्थित कोडर झील के पास हुआ था. महर्षि पतंजलि को नाग से बालक के रूप में प्रकट होने पर शेषनाग का अवतार भी माना जाता है. महर्षि पतंजलि ने ही दुनिया को योग का संदेश दिया था.

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योग के जनक महर्षि पतंजलि की भूमि कोडर
यूपी के गोंडा जिले के वजीरगंज क्षेत्र का कोंडर गांव, जो महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली माना जाता है. कोंडर गांव, जो जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर है. इसे धर्मग्रंथों में महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के रूप में जाना जाता है. यहां आने वाले लोग इस पवित्र स्थल को देखने आते हैं, जिसे भगवान शेषावतार का रूप माना जाता है. 

महर्षि पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार
महर्षि पतंजलि सिर्फ सनातन धर्म ही नहीं आज हर धर्मो के लिए पूज्य हैं. महर्षि पतंजलि का जन्मकाल शुंगवंश के शासनकाल का माना जाता है जो ईसा से 200 वर्ष पूर्व था.  महर्षि पतंजलि योगसूत्र के रचनाकार है. इसी रचना से विश्व को योग के महत्व की जानकारियां मिलीं. ये महर्षि पाणीनी के शिष्य थे.  महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली का साक्ष्य धर्मग्रंथों में भी मौजूद है.  इस बात का प्रमाण पाणिनि की अष्टाध्यायी महाभाष्य में मिलता है जिसमें पतंजलि को गोनर्दीय कहा गया है.  जिसका अर्थ है गोनर्द का रहने वाला.  और गोण्डा जिला गोनर्द का ही अपभ्रंश है.

 कोडर गांव में महर्षि पतंजलि का आश्रम
अयोध्या से महज 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोंडा जिले के कोडर गांव में महर्षि पतंजलि का आश्रम है. ये गांव गोंडा जिले में आता है. आज भी महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के सामने योग कार्यशाला चलाई जाती है जहां प्रतिदिन सुबह काफी संख्या में लोग आते हैं और यहां पर तरह-तरह के योग को सीख करके जाते हैं.  लोगों को योग के बारे में जानकारी देने के साथ यहां के इतिहास के बारे में भी बताया जाता है. 

महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के ठीक सामने कोड़र झील 
महर्षि पतंजलि की जन्मस्थली के ठीक सामने कोड़र झील है जो नदी सर्पाकार की तरह है क्योंकि महर्षि पतंजलि को शेषावतार माना जाता है. बच्चों को योग की शिक्षा देने के दौरान महर्षि पतंजलि को कोई देख नहीं पाया वह पर्दे के पीछे रहते थे और आगे बच्चे बैठकर योग की शिक्षा लेते थे.  एक बार एक बच्चे ने जैसे ही उसे पर्दे को उठाकर देखने का प्रयास किया वह लड़का तत्काल भस्म हो गया और उसके बाद से महर्षि पतंजलि अंतरध्यान हो गए थे.  इसके बाद गोंडा से योग की शुरुआत हुई और पूरे विश्व तक पहुंची. आज भी उनकी जन्मस्थली पर उनकी समाधि बनी हुई है जहां पर गोंडा ही नहीं बल्कि देश-विदेश से लोग आते हैं. 

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