NAMO Bharat Trail News: मेरठ से दिल्ली के बीच का सफर आसान होने वाला है. मेरठ से सराय काले खां तक नमो भारत ट्रेन के फर्राटा भरने को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है. न्यू अशोक नगर स सराय काले खां स्टेशन के बीच ट्रायल शनिवार रात से शुरू कर दिया गया. पहली बार यह यमुना को पार करते हुए रिंग रोड के ऊपर से गुजरते हुए सराय काले खां स्टेशन तक पहुंच गई. इसकी सवारी के लिए अब लोगों को ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा.
आखिरी चरण में काम
बता दें कि रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के सराय काले खां स्टेशन का निर्माण काम पूरा हो चुका है. अब शनिवार को न्यू अशोक नगर से सराय काले खां के बीच ट्रायल हुआ. धीमी गति से ट्रायल में मैनुअलर तरीके से नमो भारत ट्रेन डाउन लाइन पर चलाई गई. सिग्नलिंग सिस्टम, ट्रैक, प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी), ओवरहेड पावर सप्लाई सिस्टम की जांच की गई. जल्द ही स्पीड के साथ ट्रायल होंगे.
4.5 किलोमीटर लंबाई
न्यू अशोक नगर से सराय काले खां तक कारिडोर करीब 4.5 किलोमीटर लंबा है. जहां नमो भारत ट्रेन चलने से यात्री आसानी से सफर कर सकेंगे. निर्माण कार्य आखिरी चरण में है, जिसे जल्द पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है. सराय काले खां स्टेशन पर बाकी बचे छत निर्माण के अलावा अन्य कामों को तेजी से पूरा किया जा रहा है. स्टेशन पर 12 एस्केलेटर, 4 लिफ्ट और सभी प्लेटफॉर्म पर पीएसडी लगाए जा चुके हैं. पांच एंट्री-एग्जिट का कार्य भी अंतिम चरण में है.
जून तक मिल सकती है गुडन्यूज
सब कुछ ठीक रहा तो जून के आखिरी तक लोगों के लिए इसको शुरू कर दिया जाएगा. इससे सराय काले खां से मेरठ की कम समय में पूरी हो जाएगी. अभी नमो भारत ट्रेन मेरठ से आनंद विहार और न्यू अशोक नगर तक चलाई जा रही है. दिल्ली में आरआरटीएस का 14 किलोमीटर लंबा खंड आता है. नमो भारत ट्रेन अभी न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक 55 किलोमीटर तक चल रही है, पूरे कॉरिडोर तक दौड़ाने की तैयारी है. पूरा कॉरिडोर 82 किलोमीटर लंबा है.
मेरठ साउथ से न्यू अशोकनगर तक दौड़ रही नमो भारत
अभी न्यू अशोक नगर से मेरठ साउथ तक नमो भारत दौड़ रही है. जिसमें न्यू अशोक नगर, आनंद विहार, साहिबाबाद, गाज़ियाबाद, गुलधर, दुहाई, दुहाई डिपो, मुरादनगर, मोदी नगर साउथ, मोदी नगर नॉर्थ और मेरठ साउथ के 11 स्टेशन शामिल हैं. नमो भारत कॉरिडोर के स्टेशनों के आसपास के इलाकों को विकसित करेगा. इसको लेकर योजना तैयार की जा रही है. कॉरिडोर के कई स्टेशनों के पास बड़े और छोटे भूखंड विकसित किए जाने की योजना है. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए ट्रांजिट ओरिएंटेड मॉडल पर काम किया जाएगा.
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