UP News: यमुना एक्सप्रेसवे में आठ हजार करोड़ के घोटाले की खबर है. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) में इन वित्तीय गड़बड़ियों की प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जानकारी मांगी है. हालांकि, इस मामले में ईडी ने कोई केस दर्ज नहीं किया है. दरअसल, ईडी, लखनऊ जोनल कार्यालय की ओर से यीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखा गया था. जिसमें सीएजी ऑडिट में करीब आठ हजार करोड़ की वित्तीय अनियमितताओं के बारे में जानकारी मांगी गई है.
कई अफसरों की होगी जांच
आपको बता दें, सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ था. जिसके बाद 16 सालों के दौरान बसपा-सपा-भाजपा सरकार (योगी 1.0) में तैनात रहे कई अफसरों की जांच होगी. जिन अफसरों-नेताओं-बिल्डरों और ठेकेदारों के ताकतवर सिंडिकेट ने यीडा में घोटाले किए हैं, उनके खिलाफ अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है.
सीएजी रिपोर्ट में हुआ था खुलासा
आपको बता दें, दिसंबर 2024 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने यीडा में 8125 करोड़ की गड़बड़ियों का खुलासा विधानसभा में रिपोर्ट पेश किया था. जिसके आधार पर ईडी ने जांच के सिलसिले में यीडा के गौतमबुद्धनगर स्थित मुख्यालय से जानकारियां मांगी हैं. 19 मार्च को ईडी के लखनऊ जोनल दफ्तर में तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर जय कुमार ठाकुर का यीडा के सीईओ डॉ. अरुण वीर सिंह को भेजा वो पत्र है, जिसमें कहा गया है कि 2005-06 से 2020-21 के ऑडिट पीरियड के दौरान सामने आई अनियमितताओं पर ED स्तर से जांच शुरू की गई है.
दोषी अफसरों का ब्यौरा मांगा
ईडी ने यीडा से सरकार द्वारा कराई गई जांच व कमेटी के गठन का स्टेट्स, रिपोर्ट और शिकायतों की सत्यापित प्रति मांगी है. वहीं, जांच में दोषी अफसरों का ब्यौरा भी तलब किया है. सभी जानकारियां पीएमएलए एक्ट के सेक्शन 54 के तहत ईडी ने मांगी हैं. दिल्ली मुख्यालय से हरी झंडी मिलते ही ईडी के लखनऊ जोनल दफ्तर के ज्वाइंट डायरेक्टर राजकुमार ने जांच शुरू करा दी है.
शुरुआती जांच में कई फर्मों का खुलासा
रिपोर्ट्स की मानें तो एजेंसी की इंटेलिजेंस यूनिट की शुरुआती जांच में ऐसी कई फर्मों का खुलासा हुआ है, जिनको यीडा से सैकड़ों करोड़ की जमीनें नियम के हिसाब से आवंटित नहीं की गई. कुछ मामलों में बिल्डर ने घोषित संपत्ति से 18 गुना से ज्यादा कीमत पर लाखों वर्गफुट के बड़े प्लॉट खरीदे. इनके पीछे खड़े असली चेहरों को अब ईडी तलाश करेगी. जांच के दौरान फर्मों में अफसरों-नेताओं की हिस्सेदारी सामने आना तय है. जिसमें कमोबेश सभी दलों से जुड़े प्रभावशाली हस्तियां शामिल हैं.
यीडा अफसरों पर शिकंजा
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो घोटालों को दबाने के लिए बसपा प्रमुख मायावती से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सरकारों ने यीडा के क्रियाकलापों का ऑडिट कभी नहीं करवाया. सीएजी ने जून 2012 से लेकर अप्रैल 2017 तक सरकारों से ऑडिट कराने की गुहार भी की. सीएम योगी आदित्यनाथ ने जनवरी 2018 में सीएजी को ऑडिट का जिम्मा सौंपा. हालांकि, जांच के दायरे में योगी 1.0 के दौरान लम्बे समय से तैनात यीडा अफसर भी हैं.
सीएजी रिपोर्ट में क्या है?
सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ सालों के बाद भी यीडा ने 52 में से 29 सेक्टरों के लिए लेआउट योजनाएं तैयार नहीं की. बैंकों के पास कर्ज के तौर पर लोगों की बंधक जमीनें भी यीडा अफसरों ने साजिशन खरीद ली. खासतौर पर 25 से 50 एकड़ के भूखंडों की योजना में विक्रय मूल्य कम निर्धारित करके करीब 500 करोड़ की चपत लगाई गयी. 2008 से 2012 के दौरान ग्रुप हाऊसिंग भूखंडों के मूल्य भी कम निर्धारित करके 125 करोड़ का नुकसान कराया गया. बिना दस्तावेज और तकनीकि अहर्ता पूरी कराए बड़े भूखंड चहेतों को इंटरव्यू के आधार पर बांटे गए.
अफसरों ने खाया करोड़ों का कमीशन
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिना हस्तांतरण फीस आरोपी किए पट्टों में खूब धांधलियां हैं. एक आवंटी को 103 करोड़ का फायदा हुआ. 25 मामलों में 128 करोड़ अतिरिक्त भुगतान हुआ. पट्टा विलेख में देरी से 498 करोड़ की चपत लगी. 2008 से 2021 के दौरान 29009 भूखंड आवंटित हुए, पट्टा विलेख सिर्फ 10547 को हुआ. बिल्डरों के लिए जरूरत से ज्यादा जमीन खरीदकर 160 करोड़ फंसाए गए. ठेकेदारों को अफसरों ने लाभ पहुंचाते हुए करोड़ों का कमीशन खाया है.
यह भी पढ़ें: UP News: सीएम योगी का फरमान, एसी कमरे छोड़ फील्ड में पसीना बहाएं PWD अफसर, खराब सड़क-पुल की करेंगे जांच