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नोएडा को मिलेगी विकास की नई रफ्तार, अब सड़कों पर दौड़ेंगी 500 ई-सिटी बसें;  एयरपोर्ट तक होगी सीधी कनेक्टिविटी

Noida News: नोएडा में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को एक नई दिशा मिलने जा रही है. अब प्रदूषणमुक्त, आधुनिक और सुविधाजनक सफर के लिए 500 ई-सिटी बसें जल्द ही सड़कों पर नजर आएंगी. आपको बता दें कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक भी सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी. 

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सांकेतिक तस्वीर. क्रेडिट Meta AI
सांकेतिक तस्वीर. क्रेडिट Meta AI
Zee Media Bureau|Updated: Jul 19, 2025, 03:30 PM IST
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Noida News: नोएडा के लोगों को जल्द ही एक नई सौगात मिलने जा रही है. भीड़, प्रदूषण और असुविधाजनक सफर की परेशानियां अब बीते दिनों की बात होंगी. अब पब्लिक ट्रांसपोर्ट को एक नया, हाईटेक और इको-फ्रेंडली स्वरूप  500 ई-सिटी बसों की शुरुआत के साथ मिलने जा रहा है.  675 करोड़ रुपये की इस मेगायोजना से पूरे क्षेत्र में इलेक्ट्रिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की एक मजबूत नींव तैयार की जाएगी. 

कहां-कहां दौड़ेंगी ये बसें?
300 बसें नोएडा शहर में
100-100 बसें ग्रेटर नोएडा और यीडा (यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) क्षेत्र में
कुल 25 प्रमुख रूटों पर इनका संचालन किया जाएगा.

ई-बसों के लिए तैयार हो रहा हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर
सेक्टर-82 और 90 में बनाए जाएंगे चार्जिंग व सर्विसिंग टर्मिनल
इन टर्मिनलों पर होंगी आधुनिक सुविधाएं  चार्जिंग स्टेशन, सर्विस सेंटर, वॉशिंग यूनिट, शेड और पार्किंग

क्या चल रहा है अभी?
सर्वे का काम शुरू हो चुका है  7 सलाहकार कंपनियों को बुलावा भेजा गया था
डिम्स (DIMTS) कंपनी ने सर्वे की जिम्मेदारी संभाली है
10 दिन में सर्वे रिपोर्ट नोएडा ट्रैफिक सेल को सौंपी जाएगी
रिपोर्ट के आधार पर एक कंपनी का चयन किया जाएगा, जिसके मार्गदर्शन में टेंडर प्रक्रिया और निर्माण कार्य शुरू होगा

कौन सी कंपनी, कैसी बस?
ट्रैवल टाइम मोबिलिटी इंडिया प्रा. लि.
9 मीटर लंबी ई-बस
₹54.90 प्रति किमी
डेलबस मोबिलिटी प्रा. लि.
12 मीटर लंबी ई-बस
₹67.99 प्रति किमी
इनका संचालन होगा GCC (Gross Cost Contract) मॉडल पर.

क्या होता है GCC मॉडल?
GCC मॉडल में ऑपरेटर कंपनी बसों को खरीदती है, उनका रखरखाव करती है और सरकार को एक तय किराए पर बसें उपलब्ध कराती है. मार्ग तय करना, किराया वसूलना और शेड्यूल तैयार करना ये सभी जिम्मेदारियां ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की होती हैं. इस मॉडल से ट्रांसपोर्ट सिस्टम की जवाबदेही और नियंत्रण सरकार के हाथ में रहता है, जबकि ऑपरेटर तकनीकी और परिचालन काम देखता है.

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