Greater Noida: जेवर में विकास की रफ्तार को नए पंख लग गए हैं. यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) अब जमीन अधिग्रहण के बजाय किसानों से आपसी सहमति के जरिए भूमि प्राप्त कर रहा है. इसकी बड़ी वजह मुआवजे की दरों में हुई हालिया बढ़ोतरी और किसानों को मिलने वाले विकसित भूखंड हैं, जिन्हें ग्रामीण अब फायदे का सौदा मानने लगे हैं.
अधिग्रहण की दरों में असमानता हुई खत्म
दरअसल, बीते वर्ष तक यीडा किसानों से महज 3100 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से जमीन खरीद रहा था. लेकिन दिसंबर 2024 में एयरपोर्ट परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई 14 गांवों की जमीन का मुआवजा बढ़ाकर 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दिया गया. इसके चलते किसानों ने भी यीडा को जमीन देना बंद कर दिया. जवाब में प्रदेश सरकार ने यीडा के मुआवजे को भी एयरपोर्ट के बराबर कर दिया.
प्राधिकरण ने अप्रैल 2025 में बोर्ड बैठक में इस नई दर को मंजूरी दी. इसके बाद किसानों को दो विकल्प दिए गए — या तो उन्हें पूरी रकम 4300 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर से मिले या फिर सात प्रतिशत विकसित भूखंड के साथ 3808 रुपये प्रति वर्गमीटर की दर मिले. इस प्रस्ताव को किसानों ने हाथों-हाथ लिया और भूमि देने की प्रक्रिया में तेजी आ गई.
किसान अधिग्रहण के बजाय सहमति से दे रहे जमीन
अब यीडा ने औपचारिक अधिग्रहण की प्रक्रिया से किनारा कर सीधे सहमति के आधार पर जमीन खरीदनी शुरू कर दी है. अधिग्रहण की तुलना में यह प्रक्रिया न केवल तेज है, बल्कि किसानों और प्रशासन दोनों के लिए सुविधाजनक भी साबित हो रही है.
26 गांवों की जमीन लेने का प्रस्ताव
यीडा ने मास्टर प्लान 2041 के तहत जेवर क्षेत्र के 26 गांवों से करीब 3120 हेक्टेयर जमीन लेने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजा था. इनमें से कई गांवों जैसे रबूपुरा, आकलपुर, दस्तमपुर, फाजिलपुर, थोरा, मुरादगढ़ी आदि में विभिन्न सेक्टरों के लिए योजनाएं तैयार की गई हैं.
अब तक कलूपुरा, दस्तमपुर, भीकनपुर, भुन्नातगा, दयौरार, मुरादगढ़ी जैसे गांवों में जमीन देने के लिए किसानों की बड़ी संख्या में सहमति मिल चुकी है.
निवेश बढ़ेगा, मिलेंगे रोजगार
प्राधिकरण ने सेक्टर 10 में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के लिए भी तीन गांवों – आकलपुर, म्याना और मकसूदपुर – से करीब 244 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की है, जहां कंपनियों को प्लॉट आवंटित किए जा रहे हैं. इससे न केवल निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.
यीडा के इस नए भूमि मॉडल ने विकास की गति को तेज कर दिया है और किसानों को भी उनके हक का बेहतर मूल्य मिलने लगा है. जेवर अब सिर्फ एयरपोर्ट का नहीं, बल्कि उत्तर भारत के सबसे बड़े औद्योगिक हब का रूप लेता जा रहा है.
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