Ghaziabad Kitchen Rule: गाजियाबाद के लोगों के लिए अच्छी खबर है. खासकर, इंदिरापुरम, वैशाली, कौशांबी और आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए. अब अपने सिंगल यूनिट घरों के हर फ्लोर पर किचन बना सकते हैं. पहले सिर्फ एक ही रसोई बना सकते थे.गाजियाबाद में बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन किया गया है. पहले मकान में एक से ज्यादा किचन बनाना अवैध के दायरे में आता था.अब हर फ्लोर पर किचन वैध रूप से बनेगा और शहर में विकास का रास्ता खुलेगा.गाजियाबाद में बिल्डिंग बायलॉज में किया गया यह संशोधन न सिर्फ मकान मालिकों के लिए राहत की सांस है, बल्कि जीडीए के लिए भी फायदेमंद सौदा है.
बढ़ेगा सरकार का राजस्व
अभी तक सिंगल यूनिट घर में तीन फ्लोर तक एक ही किचन बनाने की अनुमति थी. इसके बाद भी लोग हर फ्लोर पर एक किचन बना देते थे जो अवैध होता था. इन मकानों पर हमेशा कार्रवाई का खतरा रहता था. जीडीए ने बिल्डिंग बायलॉज में बड़ा संशोधन करते हुए इस पर लगी रोक हटा दी है. अब वे शमन शुल्क देकर अपने फ्लोर को वैध करा सकेंगे. यह फैसला न सिर्फ आम लोगों को राहत देगा, बल्कि जीडीए के राजस्व को भी बढ़ाएगा.
बिल्डर करते थे खेल
पुरानी व्यवस्था के तहत लोग तीन फ्लोर तक का निर्माण कर सकते थे, लेकिन उसमें बस एक ही किचन बनाने की अनुमति थी. ज्यादातर बिल्डर्स एक किचन का नक्शा पास करवा लेते थे. जब उनको बेचना होता था तो वे हर फ्लोर पर किचन बनाकर बेचते थे. ऐसे घरों पर हमेशा जीडीए की कार्रवाई का खतरा मंडराता रहता था. नए बदलाव में अब सिंगल यूनिट के तहत हर फ्लोर पर किचन बनाए जाने की परमिशन मिल गई है.यह बदलाव वास्तव में बड़ी राहत है. डर के माहौल में लोग अपने घरों में बड़े निवेश करने से भी कतराते थे। अब उन्हें घरों को वैध करने का मौका मिल रहा है.
कहां बने हैं ऐसे प्लॉट?
गाजियाबाद में कई एरिया में इस तरह के फ्लोर बने हुए हैं, जहां हर फ्लोर पर किचन का निर्माण किया गया है. ऐसे प्लॉट की संख्या सबसे ज्यादा इंदिरापुरम, राजेंद्र नगर, वैशाली,गोविंदपुरम, राजनगर, शास्त्रीनगर, लोहियानगर, विजयनगर, प्रताप विहार, कविनगर, नेहरूनगर कौशाम्बी, स्वर्णजयंती पुरम आदि इलाके में हैं. यहां 100 से 400 मीटर वाले कई घरों को तीन मंजिल तक बनाया गया है. इन इलाकों में ज्यादातर हर फ्लोर पर किचन बने हैं. शहर के अन्य हिस्सों में रहने वाले लोगों को इस बदलाव से सीधा फायदा मिलेगा. खास तौर पर इन सभी क्षेत्रों के लोग अब अपने घरों के लिए शमन शुल्क जमा करवा सकेंगे और भविष्य में जीडीए की संभावित कार्रवाई से खुद को बचा सकेंगे।
क्या होता है शमन शुल्क?
शमन शुल्क एक तरह का जुर्माना या फीस है जो किसी अवैध निर्माण को वैध करने के लिए ली जाती है. ये शुल्क आमतौर पर निर्माण की प्रकृति, उसके आकार और क्षेत्र के हिसाब से तय किया जाता है. इस बदलाव के बाद जीडीए एक निर्धारित प्रक्रिया और फीस तय करेगा, जिसके तहत घर के मालिक आवेदन कर सकेंगे. अप्लाई करने के साथ उन्हें निर्धारित शुल्क जमा करना होगा, जिसके बाद उनके घर को कानूनी मान्यता मिल जाएगी.