trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand02789888
Home >>गोरखपुर

ऋषि तपस्या से लेकर ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने तक.. यूपी के इस शहर में छिपा है इतिहास का सबसे बड़ा संघर्ष!

Ballia ka Itihas: यूपी के बलिया को भृगु नगरी के नाम से जाना जाता है. यही वह स्थान है जहां महर्षि भृगु ने तपस्या की, भृगु संहिता की रचना की और लोगों को कृषि का ज्ञान दिया. आइए आपको बताते हैं इस ऐतिहासिक शहर के इतिहास के बारे में...

Advertisement
सांकेतिक फोटो
सांकेतिक फोटो
Zee Media Bureau|Updated: Jun 09, 2025, 10:43 PM IST
Share

Ballia ka Itihas: पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर बलिया आज आधुनिकता की राह पर बढ़ रहा है, लेकिन इसकी जड़ें हजारों वर्षो पुराने गौरवशाली अतीत में गहराई से जुड़ी हैं. इस धरती को ‘भृगु नगरी’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां महर्षि भृगु ने तपस्या की, भृगु संहिता की रचना की और लोगों को कृषि का ज्ञान दिया.

पद्म पुराण के अनुसार
मान्यता है कि महर्षि भृगु की तपोभूमि रहे बलिया में उनकी छड़ी से कोपलें फूटी थीं, जिसे शुभ संकेत मानते हुए उन्होंने यहीं निवास किया. यही नहीं, पद्म पुराण के अनुसार महर्षि भृगु द्वारा भगवान विष्णु की परीक्षा लेने और उनके सहनशील व्यवहार को देखने के बाद उन्हें त्रिदेवों में श्रेष्ठ माना गया. 

महापुरुषों ने यहां किया था तप 
भृगु संहिता की रचना के लिए प्रसिद्ध यह भूमि आज भी गंगा और घाघरा के संगम पर लगने वाले दादरी मेले के लिए विख्यात है, जिसका संबंध दर्दर मुनि से जोड़ा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, दर्दर मुनि ने महर्षि भृगु के निर्देश पर घाघरा नदी को अयोध्या से बलिया की ओर मोड़ दिया था, ताकि बलियावासियों को जल की समस्या न हो. इतिहासकार बताते हैं कि बलिया कभी कोसल साम्राज्य का हिस्सा था. जमदग्नि, वाल्मीकि, दुर्वासा जैसे महापुरुषों ने भी यहां तप किया. समय के साथ यह क्षेत्र बौद्ध प्रभाव में भी रहा. 

बलिया की पहचान सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से ही नहीं है, यह स्वतंत्रता संग्राम में भी एक प्रमुख केंद्र रहा है. 19 अगस्त 1942 को  में यहां के लोगों ने ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंका और बलिया को स्वतंत्र घोषित कर दिया. यद्यपि अंग्रेजों ने कुछ ही दिनों में इसे पुनः अपने अधीन कर लिया, लेकिन तब से बलिया को "बागी बलिया" कहा जाने लगा. 

बलिया 1 नवंबर 1879 को गाजीपुर से अलग होकर एक जिला बना और तब से यह क्षेत्र प्रशासनिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा है. यहां से देश को कई महान नेता और विचारक मिले जैसे पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, स्वतंत्रता सेनानी जयप्रकाश नारायण, और समाजवादी चिंतक जनेश्वर मिश्र.

Read More
{}{}