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गोरखपुर के सौरभ शुक्ला, गर्लफ्रैंड के लिए एक्टिंग में आए, इस फिल्म ने दिलाई इंडस्ट्री में पहचान

Saurabh Shukla Birthday: कभी फिल्म 'सत्या' के कल्लू मामा तो कभी 'जॉली एलएलबी' के जज साहब जो कोर्ट में अपने देसी और ठेठ अंदाज के लिए दर्शकों के दिमाग पर छा गए, सौरभ शुक्ला आज 5 मार्च को अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं. आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि वो एक्टिंग के करियर में गर्लफ्रेंड के लिए आए थे. क्या है ये किस्सा, आइये जानते हैं.  

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गोरखपुर के सौरभ शुक्ला, गर्लफ्रैंड के लिए एक्टिंग में आए, इस फिल्म ने दिलाई इंडस्ट्री में पहचान
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Mar 05, 2025, 01:19 PM IST
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Saurabh Shukla Birthday: बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार सौरभ शुक्ला का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. दमदार अभिनय और शानदार कॉमिक टाइमिंग के लिए पहचाने जाने वाले सौरभ आज फिल्म इंडस्ट्री के मजबूत स्तंभों में से एक हैं। ‘बर्फी’, ‘ओएमजी’, ‘जॉली एलएलबी’ और ‘सत्या’ जैसी शानदार फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि उन्होंने फिल्मों में आने का फैसला एक्टिंग के प्रति अपने जुनून के लिए नहीं, बल्कि गर्लफ्रेंड बनाने के लिए किया था? उनके 62वें जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनका ये दिलचस्प किस्सा.  

कला से सौरभ शुक्ला का जन्मजात नाता
5 मार्च 1963 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में  जन्मे सौरभ शुक्ला की परवरिश दिल्ली में हुई. सौरभ शुक्ला का कला से जन्मजात नाता था, उनकी मां जोगमाया भारत की पहली महिला तबलावादक थीं तो वहीं पिता आगरा घराने के गायक थे. 

गर्लफ्रेंड के लिए थिएटर जॉइन किया
खालसा कॉलेज से पढ़ाई करने के दौरान वह थिएटर के पास से गुजरते रहते थे. एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि थिएटर के बाहर हमेशा खूबसूरत लड़कियां दिखाई देती थीं, जबकि लड़के ज्यादा आकर्षक नहीं होते थे. यह देखकर उन्होंने सोचा कि यहां उनकी भी कोई न कोई गर्लफ्रेंड बन सकती है. इसी सोच के चलते उन्होंने 1984 में थिएटर जॉइन कर लिया. हालांकि, एक्टिंग में पहले से रुचि होने के कारण वह यहां टिक गए और एक्टिंग की बारीकियां सीखने लगे.  

शेखर कपूर ने दिया पहला ब्रेक
थिएटर में नाम बनाने के बाद सौरभ को 1994 में शेखर कपूर की फिल्म 'बैंडिट क्वीन' में पहला मौका मिला. दिलचस्प बात यह है कि तब वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में नौकरी कर रहे थे, जहां उन्हें 4000 रुपये महीने की सैलरी मिलती थी. इस दौरान एक प्ले में उनकी मुलाकात शेखर कपूर से हुई, जिन्होंने उनके लिए बैंडिट क्वीन में एक किरदार लिखा और उन्हें मुंबई बुला लिया.

'कल्लू मामा' से मिली जबरदस्त पहचान
हालांकि, असली पहचान उन्हें 1998 में राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'सत्या' से मिली. इस फिल्म में उन्होंने 'कल्लू मामा' का किरदार निभाया, जो इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग आज भी उन्हें इसी नाम से याद करते हैं. मजेदार बात ये है कि इस फिल्म के को-राइटर भी सौरभ शुक्ला ही थे.

40 साल से कर रहे हैं दर्शकों का मनोरंजन
सौरभ शुक्ला ने चार दशकों से हिंदी सिनेमा में अपना योगदान दिया है. ‘जॉली एलएलबी’, ‘बर्फी’, ‘ओएमजी’, ‘किक’ जैसी हिट फिल्मों में उनके किरदारों ने हर बार दर्शकों को प्रभावित किया. अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और गंभीर अभिनय के मिश्रण से वह हर भूमिका में जान डाल देते हैं. 

आज, जब सौरभ शुक्ला 62 साल के हो गए हैं, तो उनका यह मजेदार सफर एक प्रेरणा भी है कि जिंदगी में कभी-कभी किसी छोटी सी वजह से लिए गए फैसले भी बड़े मुकाम तक पहुंचा सकते हैं. 

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